लखनऊ: उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने के आरोपियों के पोस्टर लखनऊ में लगाए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट के आदेश को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के बाद कहा कि अब इस मामले को बड़ी बेंच देखेगी। मामले की सुनवाई करते हुए जज ने कहा कि CJI के सामने मामले को रखा जाएगा, वह तय करेंगे कि कौन सी बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के ऑर्डर पर फ़िलहाल रोक नहीं लगाई गई है, इसलिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का ऑर्डर बरकरार रहेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपियों का पोस्टर हटाने का आदेश दिया है। लखनऊ के अलग-अलग चौराहों पर वसूली के लिए 57 कथित प्रदर्शनकारियों के 100 पोस्टर लगाए गए हैं। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि लखनऊ के जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर 16 मार्च तक होर्डिंग्स हटवाएं। कोर्ट ने कहा कि साथ ही इसकी जानकारी रजिस्ट्रार को दें। हाईकोर्ट ने दोनों अधिकारियों को हलफनामा भी दाखिल करने का आदेश दिया है।
बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध के दौरान उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों से हिंसा की खबरें आई थीं, जिनमें निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा था। पूर्व आईपीएस अधिकारी श्रवण राम दारापुरी, सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर, कलाकार दीपक कबीर, वकील मोहम्मद शोएब और ऐसे ही 57 लोगों को लखनऊ हिंसा का जिम्मेदार बताते हुए प्रशासन ने जगह-जगह पोस्टर लगाए हैं। प्रशासन ने इन लोगों से हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए कहा है।
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