मप्र में रहा भ्रष्टाचार का साल, 2732 करोड़ के घोटाले: कांग्रेस
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि राज्य में एक वर्ष के 12 माह में 23 घोटाले हुए...
भोपाल: कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई ने वर्ष 2017 को घोटालों का साल करार दिया है और साल के आखिरी दिन राज्य में हुए घोटालों का ब्योरा देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करते हैं और उन्हीं की नाक के नीचे 2,732 करोड़ रुपये के घोटाले हो गए। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि राज्य में एक वर्ष के 12 माह में 23 घोटाले हुए, यानी हर माह दो घोटाले हुए। इतना ही नहीं, 150 से ज्यादा अधिकारी व कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े गए और लोकायुक्त के छापों में 30 करोड़ रुपये से अधिक की अनुपातहीन संपत्ति उजागर हुई।
नेता प्रतिपक्ष सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार वर्ष 2017 में भ्रष्टाचार के मामले में भी अव्वल रही है। मुख्यमंत्री का यह दावा भी झूठा साबित हुआ कि भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी।
सिंह ने कहा, "प्याज खरीदी में 1,100 करोड़ रुपये, दाल खरीदी में 250 करोड़ रुपये, डीजल में 200 करोड़ रुपये, रेरा में 180 करोड़ रुपये, पौधारोपण में 700 करोड़ रुपये, आऱ टी भुगतान में 80 करोड़ रुपये, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में 10 करोड़ (सिर्फ भोपाल में), मनरेगा की फर्जी जॉब कार्ड में 100 करोड़ रुपये, स्मार्टफोन खरीदी में 80 करोड़ रुपये, गुना के मुक्तिधाम निर्माण कार्य में 15 करोड़ रुपये, भोपाल और इंदौर में झूलाघर में 16 करोड़ रुपये और खिलचीपुर नगर पालिका में 61 लाख रुपये का घोटाला वर्ष 2017 में हुआ।"
नेता प्रतिपक्ष का आरोप है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि मंत्रियों के स्तर पर भी भ्रष्टाचार हुआ। वनमंत्री गौरीशंकर शेजवार ने अपने परिवार को जहां सरकारी खर्च पर यात्रा करवाई, वहीं उद्यानिकी राज्यमंत्री सूर्यप्रकाश मीणा ने अपने बेटे और भतीजे को सरकारी खर्च पर विदेश यात्रा कराई। इंदौर में एक ठेकेदार प्रकाश परिहार ने सिर्फ इसलिए खुदकुशी कर ली की, क्योंकि वह लोक निर्माण विभाग के अफसरों से रिश्वत मांगने से परेशान था।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ये घोटाले बताते हैं कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ न केवल उदासीन है, बल्कि भ्रष्टाचार करने वालों को राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ है। यही कारण है कि भोपाल नगर निगम में 200 करोड़ रुपये का घोटाले का खुलासा करने वाली तत्कालीन नगर निगम आयुक्त छवि भारद्वाज को हटा दिया गया, वहीं मुक्तिधाम घोटाले को उजागर करने वाले गुना के अधिकारी का स्थानांतरण कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार ने वर्ष 2017 में राज्य का चहुंमुखी विकास किया हो या न किया हो, लेकिन भ्रष्टाचार का विकास जरूर किया है। ये वे लोग हैं, जो कहते कुछ हैं और करते कुछ और हैं।