साल 2017 उत्तराखंड: भाजपा को प्रचंड बहुमत और मोदी की सौगातों से भरा रहा यह साल
उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में भाजपा का तीन चौथाई से भी अधिक और अभूतपूर्व बहुमत हासिल कर प्रदेश में नया इतिहास रचना इस वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण घटना रही
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में भाजपा का तीन चौथाई से भी अधिक और अभूतपूर्व बहुमत हासिल कर प्रदेश में नया इतिहास रचना इस वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण घटना रही जिससे उत्साहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीन दौरों में प्रदेश को केदारनाथ में भव्य केदारपुरी के निर्माण, आलवेदर रोड पर काम शुरू करने और चारधाम रेल मार्ग जैसी बड़ी परियोजनाओं की सौगात दी।
इस वर्ष 15 फरवरी को हुए विधानसभा चुनावों के 11 मार्च को आये नतीजों ने प्रदेश का 17 साल का इतिहास बदल दिया। भाजपा 70 में से 57 सीटें जीतकर सत्ता पर आई और त्रिवेंद्र सिंह रावत अब तक की सबसे मजबूत और सबसे स्थिर सरकार के मुखिया बने। इससे पहले, प्रदेश की जनता ने कभी किसी एक पार्टी को इतने स्पष्ट जनादेश के साथ सत्ता नहीं सौंपी थी। उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनावों से लेकर पिछले तीनों चुनावों में बारी—बारी से सरकार बनाने वाले दोनों प्रमुख राजनीतिक दल—भाजपा और कांग्रेस—यहां कभी साधारण बहुमत के 36 के आंकडे़ को पार नहीं कर पाये थे।
ये नतीजे राजनीतिक प्रेक्षकों के अलावा खुद भाजपा के लिए भी बहुत चौंकाने वाले रहे । पार्टी हरीश रावत के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनता की नाराजगी, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल 11 नेताओं और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने को लेकर निश्चिंत थी लेकिन इतना प्रचंड बहुमत उसके लिए भी किसी अचंभे से कम नहीं था।
बहरहाल, भाजपा को झटका भी लगा और उसके प्रदेश अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदारों में से एक अजय भट्ट अल्मोड़ा की रानीखेत विधानसभा सीट से अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के करन माहरा से 4981 मतों से हार गये। इन विधानसभा चुनावों में और भी अप्रत्याशित घटनाएं हुईं। कांग्रेस को दोबारा सत्ता में लाने की गुहार लगा रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत दो-दो विधानसभा सीटों पर चुनाव हार गए। रावत को हरिद्वार ग्रामीण सीट पर भाजपा के स्वामी यतीश्वरानंद ने 12000 से ज्यादा मतों से हराया वहीं किच्छा में वह भाजपा के राजेश शुक्ला के हाथों 92 मतों से पराजित हो गये।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जहां महज 11 सीटों पर सिमट गई, वहीं बसपा और उत्तराखंड क्रांति दल :उक्रांद: का भी सफाया हो गया। केवल दो निर्दलीय ही विधानसभा पहुंच पाए। भाजपा के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदेश के तीन दौरे किये और केदारनाथ में भव्य केदारपुरी के निर्माण, आलवेदर रोड पर काम शुरू करने और चारधाम रेल मार्ग जैसी बड़ी परियोजनाओं की सौगात दी।
प्रधानमंत्री के दौरे के तत्काल बाद मई में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 43,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले महत्वाकांक्षी चार धाम रेल मार्ग के अंतिम सर्वेक्षण की शुरूआत की। बदरीनाथ में हुए इस कार्यक्रम में प्रभु ने बताया कि इस रेल मार्ग के बनने से प्रतिकूल मौसम में भी श्रद्धालु हिमालयी धामों—बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन हेतु वहां पहुंच सकेंगे ।
इन सभी परियोजनाओं की प्रगति की प्रधानमंत्री मोदी खुद समीक्षा और निगरानी कर रहे हैं और अफसरों को इन्हें गुणवत्ता के साथ जल्द से जल्द पूरा करने की हिदायत दे रहे हैं। प्रधानमंत्री के अलावा, उत्तराखंड इस बार तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के दो बार बदरीनाथ दौरे और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर के दौरे का भी गवाह बना। ऊधमसिंह नगर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग—74 के चौडीकरण के लिये अधिग्रहित जमीन के मुआवजे में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला भी इस साल काफी चर्चा में रहा। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए इस घोटाले के उजागर होते ही मुख्यमंत्री रावत ने इसकी जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश कर दी । हांलांकि, तत्कालीन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ‘‘अफसरों के मनोबल पर खराब असर पड़ने’’ का तर्क देते हुए राज्य सरकार से इस जांच की सिफारिश पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया।
गडकरी के पत्र के सार्वजनिक होते ही प्रदेश की राजनीति में तूफान आ गया और मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने भाजपा पर इस घोटाले में शामिल ‘‘बड़ी मछलियों’’ को बचाने का आरोप लगाया तथा कहा कि रावत सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘‘जीरो टॉलरेन्स’’ की नीति जनता को गुमराह करने के लिऐ केवल एक जुमला भर है। राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल :एसआईटी: के छानबीन शुरू कर देने और मामले में करीब एक दर्जन गिरफ्तारियां होने के बावजूद कांग्रेस के आरोपों की बौछार जारी रही।
प्रदेश के दौरे पर आये भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के सामने भी यह मुद्दा उछला जिसका कोई सीधा जवाब न देते हुए उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी मामले की जांच करने में सक्षम है। साल के उत्तरार्ध में ऋषिकेश के निकट ‘‘गंगोत्री चैरिटेबल अस्पताल’’ में उजागर हुए अंतरराष्ट्रीय गुर्दा प्रतिरोपण रैकेट ने प्रदेश और पूरे देश में सनसनी फैला दी । इस रैकेट के मुख्य सरगना डॉ अमित तथा उसके सहयोगियों की गिरफ्तारी से खुलासा हुआ कि इस अस्पताल में कुछ खाड़ी देशों के नागरिकों ने गुर्दा प्रतिरोपण करवाया था और गुर्दो के लिए गरीब लोगों को लालच देकर वहां लाया जाता था।