वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी करने के लिए यशवंत सिन्हा ने मोदी पर साधा निशाना
मुंबईः भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर एक तरह से कटाक्ष करते हुए वरिष्ठ पार्टी नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि जिन लोगों की उम्र 75 वर्ष से
मुंबईः भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर एक तरह से कटाक्ष करते हुए वरिष्ठ पार्टी नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि जिन लोगों की उम्र 75 वर्ष से ज्यादा है उन्हें 26 मई 2014 को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। सिन्हा ने मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए 75 वर्ष की उम्र सीमा तय करने के कदम पर प्रहार करते हुए कल एक समारोह में यह टिप्पणी की ।
सिन्हा ने ये टिप्पणियां कल तब कीं जब उनसे नरेन्द्र मोदी और मनमोहन सिंह सरकार के बीच अंतर पूछा गया। अटल बिहारी वाजपेयी और चंद्रशेखर की सरकारों में वित्त और विदेश मंत्री रहे इस वरिष्ठ नेता को लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था ।
मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को निशाना बनाते हुए सिन्हा ने कहा कि पहले भारत को बनाओ और फिर सब ठीक हो जाएगा।
सिन्हा ने कहा, मैं उन्हीं ब्रेन डेड लोगों में शामिल हूं। उनके बेटे जयंत केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री हैं।
झारखंड के यह बुजुर्ग नेता, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की तरह उन नेताओं में शामिल हैं जिन्हें मोदी सरकार में जगह नहीं मिली। आडवाणी और जोशी को भाजपा के मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बनाया गया है। जोशी ने हाल में मोदी की नमामि गंगे परियोजना का विरोध करते हुए दावा किया कि यह कभी भी सफल नहीं होगी।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर कटाक्ष करते हुए वित्त मंत्री के तौर पर अपने दिनों को याद करते हुए सिन्हा ने कहा कि सड़क बनाने के लिए प्रयोग में आने वाले भारी उपकरणों पर उन्होंने कर में कटौती की थी। उन्होंने कहा कि इससे राजमार्गों के निर्माण कार्यों में तेजी आई और अर्थव्यवस्था को सहयोग मिला।
उन्होंने कहा, भारत को बनाओ तो मेक इन इंडिया होगा । यशवंत सिन्हा से पहले अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने भी मंत्रिमंडल के लिए उम्र सीमा तय करने पर मोदी की आलोचना की थी।
वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे शत्रुघ्न सिन्हा ने मंत्रियों को चुनने में योग्यता और दिमागी स्फूर्ति पर जोर दिया था।
आडवाणी को अपना गुरू मानने वाले शत्रुघ्न ने कुछ समय पहले कहा था, उम्र के बजाए मंत्री बनने का मानक मानसिक स्फूर्ति और स्वास्थ्य होना चाहिए। 87 वर्ष की उम्र में भी लालकृष्ण आडवाणी की स्मरण शक्ति तेज है और उनमें 40 वर्ष के व्यक्ति की जैसी उर्जा है। आडवाणी या मुरली मनोहर जोशी की मानसिक स्फूर्ति और शारीरिक क्रियाशीलता पर कौन सवाल उठा सकता है।