नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में विवादित बयानों की झड़ी सी लग गई है। चुनाव आयोग की लाख सख्ती के बाद भी नेताओं की खासकर बीजेपी नेताओं के बिगड़े बोल थम नहीं रहे हैं। बीजेपी उम्मीदवार कपिल मिश्रा को दो दिन का बैन झेलना पड़ा है तो अनुराग ठाकुर को चुनाव आयोग ने कल दोपहर तक जवाब देने को कहा है, जबकि सांसद परवेश वर्मा के विवादित बयान की कांग्रेस और माइनॉरिटी कमिशन ने चुनाव आयोग से शिकायत की है।
पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी एक विवादित बयान दिया है। दिलीप घोष ने पूछा कि शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को कुछ क्यों नहीं हो रहा जबकि वे दिल्ली की भीषण ठंड में खुले में प्रदर्शन कर हे हैं वहीं बंगाल में सीएए और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी से घबराए लोग खुदकुशी कर रहे हैं।
घोष ने कहा कि जब नोटबंदी हुई थी, तब लोग बैंकों की लाइन में खड़े कई लोगों की मौत का दावा किया गया था लेकिन दिल्ली के शाहीन बाग में कड़ाके की ठंड में प्रदर्शन कर रहे किसी भी शख्स की मौत क्यों नहीं हुई।
घोष ने इस बात पर हैरानी जताई कि महिलाओं और बच्चों समेत प्रदर्शन में शामिल लोग क्यों बीमार नहीं पड़ रहे या मर क्यों नहीं रहे हैं जबकि वे हफ्तों से खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन कर रहे हैं। बीजेपी सांसद ने यह भी जानना चाहा कि आखिरकार इस प्रदर्शन के लिये रकम कहां से आ रही है।
दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सैकड़ों महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं। यहां करीब एक महीने से भी ज्यादा समय से प्रदर्शन चल रहा है। घोष ने कहा, “हमें पता चला है कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाएं और बच्चे दिल्ली की सर्द रातों में खुले आसमान के नीचे बैठे हैं। मैं हैरान हूं कि उनमें से कोई बीमार क्यों नहीं हुआ? उन्हें कुछ हुआ क्यों नहीं? एक भी प्रदर्शनकारी की मौत क्यों नहीं हुई?”
उन्होंने कहा, “यह बेहद चौंकाने वाला है। क्या उन्होंने कोई अमृत पी लिया है कि उन्हें कुछ हो नहीं रहा है। लेकिन बंगाल में कुछ लोगों द्वारा घबराहट में खुदकुशी करने का दावा किया जा रहा है।” दिलीप घोष के इस बयान पर अब विवाद शुरू हो गया है।
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