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Hindi News भारत राजनीति सिक्किम: चामलिंग की 24 साल की सत्ता को उखाड़कर CM बनने वाले गोले की पूरी कहानी

सिक्किम: चामलिंग की 24 साल की सत्ता को उखाड़कर CM बनने वाले गोले की पूरी कहानी

पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के 24 साल के शासनकाल को खत्म करते हुए पीएस गोले के रूप में जाने जाने वाले प्रेम सिंह तमांग सिक्किम के नए क्षत्रप बन कर उभरे हैं।

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गंगटोक: पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के 24 साल के शासनकाल को खत्म करते हुए पीएस गोले के रूप में जाने जाने वाले प्रेम सिंह तमांग सिक्किम के नए क्षत्रप बन कर उभरे हैं। हाल ही में संपन्न राज्य विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 17 सीटें मिली हैं। विधानसभा की कुल 32 सीटें हैं। चामलिंग के नेतृत्व वाले सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) के संस्थापक सदस्य रहे गोले ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत कर 2013 में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा बनाई। उन्होंने SDF पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगाया था। गोले ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

नेपाली माता-पिता के पुत्र हैं गोले
खास बात यह रही कि गठन के अगले ही साल 2014 के विधानसभा चुनावों में SKM ने 10 सीटें जीतीं। हालांकि, भ्रष्टाचार के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि के मद्देनजर चुनाव अधिकारियों द्वारा नामांकन खारिज किए जाने के डर से गोले ने इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। नेपाली माता-पिता कालू सिंह तमांग और धान माया तमांग के पुत्र गोले का जन्म 5 फरवरी 1968 में हुआ था। गोले ने दार्जिलिंग के एक कॉलेज से स्नातक किया और एक सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया।

चामलिंग ने किया था मंत्री पद देने से इनकार
समाज सेवा के लिए उन्होंने 3 साल की सेवा के बाद सरकारी नौकरी छोड़ दी और बाद में SDF में शामिल हो गए। गोले की तीन दशक की राजनीतिक यात्रा घटनापूर्ण रही है। वह 1994 से लगातार 5 बार सिक्किम विधानसभा के लिए चुने गए और 2009 तक SDF सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया। SDF सरकार के चौथे कार्यकाल (2009-14) के दौरान चामलिंग ने उन्हें मंत्री पद देने से इंकार कर दिया। इसके बाद गोले ने पार्टी छोड़ दी और अपना दल बनाया। उन्होंने सभी SDF के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और एसकेएम प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी संभाली।

भ्रष्टाचार के आरोप में ठहराए गए दोषी
2016 में, गोले को 1994 और 1999 के बीच सरकारी धन की हेराफेरी करने के लिए दोषी ठहराया गया था और बाद में विधानसभा में उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। 51 वर्षीय गोले राज्य के पहले ऐसे राजनेता थे जिन्हें सजा मिलने के बाद विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने सिक्किम उच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती दी जिसने निर्णय को बरकरार रखा जिसके कारण गोले को समर्पण करना पड़ा। 2018 में, जब गोले जेल से बाहर निकले तो उनके हजारों समर्थकों ने उनका स्वागत किया और अपने नेता के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करते हुए जुलूस निकाला। (भाषा)

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