नई दिल्ली. संसद टीवी को दिए इंटरव्यू में जब गृहमंत्री अमित शाह से पूछा गया कि प्रधानमंत्री जब किसी को कोई भी जिम्मेदारी देते हैं तो वो क्या सोचकर, किस आधार पर जिम्मेदारी देते हैं तो उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेमोरी बहुत तेज है, उन्हें 1980 की बात भी जस की तस याद होती है, फिर वो साथियों से सलाह करके ही वो अंतिम निर्णय करते हैं। उनके व्यक्तियों के चयन के बारे में और व्यक्तियों को काम देने के बारे में ज्यादात्तर फैसले सही भी होते हैं और सफल भी होते हैं।
जब अमित शाह से पूछा गया कि जब उन्हें लोकसभा 2014 से पहले यूपी का प्रभार दिया गया तो उन्होंने क्या सोचा होगा। इसपर अमित शाह ने कहा कि उस समय अध्यक्ष राजनाथ सिंह थे, फैसला उनका था। मोदी जी उस वक्त पीएम पद के प्रत्याशी घोषित हो चुके थे, तो स्वाभाविक रूप से सामूहिक फैसला था।
इंटरव्यू में वामपंथियों पर बोला हमला
इंटरव्यू में जब अमित शाह से पूछा गया कि कभी लगता है कि पीएम मोदी वामपंथ के रास्ते पर जा रहे हैं तो कभी दक्षिणपंथ की ओर, तो अमित शाह ने कहा कि वामपंथी रास्ता गरीब का उत्थान करना है ही नहीं, उसके अंदर के असंतोष को राजनीतिक पूंजी बनाकर सत्ता पर बैठना है वर्ना वामपंथी राज्यों की ये हालत होती। आज बंगाल और त्रिपुरा की स्थिति देखिए।
क्या नरेंद्र मोदी जिद करके लेते हैं जोखिम भरे फैसले?
इंटरव्यू में जब अमित शाह से पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिद करके जोखिम लेते हैं तो उन्होंने कहा कि इसपर पूरी तरह सहमत नहीं है। जिद करके कहना सही नहीं होगा, वो जोखिम लेकर फैसले करते हैं। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री का मानना है और कहना है कि हम देश बदलने के लिए सरकार में आए हैं, सरकार चलाने के लिए सरकार में नहीं आए हैं। हमारा लक्ष्य देश में परिवर्तन लाना है। 130 करोड़ की जनता को विश्व में सम्मानजनक स्थान पर पहुंचाना है।
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