नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र से अपील की है कि वह कोरोना वायरस के कारण पैदा हुए संकट के मद्देनजर प्रवासी श्रमिकों को 10-10 हजार रुपए दे। उन्होंने ट्वीट किया कि असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को वित्तीय सहायता मुहैया कराई जानी चाहिए, ताकि वे लॉकडाउन के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट का सामना कर सकें। उन्होंने सलाह दी कि आपात स्थितियों के लिए पीएम केयर्स का एक हिस्सा इस कार्य के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘मौजूदा वैश्विक महामारी के कारण लोग जिन आर्थिक संकटों से गुजर रहे हैं, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। मैं केंद्र सरकार से अपील करती हूं कि वह असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लोगों समेत प्रवासी श्रमिकों को 10-10 हजार रुपए एक बार में हस्तांतरित करे। इसके लिए पीएम-केयर्स के एक हिस्से का इस्तेमाल किया जा सकता है।’’
कोरोना वायरस वैश्विक महामारी को काबू करने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इससे पहले प्रवासी मजदूरों को लेकर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वो राज्य में प्रवासियों और गैर-प्रवासियों के बीच विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रही थीं।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने कहा कि राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि को लेकर बनर्जी गलत तरीके से प्रवासी मजदूरों को जिम्मेदार ठहरा रही थीं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को दूसरे राज्यों से समन्वय स्थापित कर वहां फंसे राज्य के मजदूरों की चिकित्सीय जांच का प्रबंध करने के साथ ही उनकी सुरक्षित वापसी का इंतजाम करना चाहिए था, क्या बनर्जी सतर्क थीं?
उन्होंने आरोप लगाया कि शुरुआत में ममता बनर्जी ने प्रवासी मजदूरों को रेल से वापस लाने का पूरा श्रेय लिया और बाद में हालात को काबू करने में विफल रहने पर इसका ठीकरा वापस आए लोगों पर फोड़ दिया। चौधरी ने राज्य सरकार पर लॉकडाउन के दौरान पर्याप्त संख्या में पृथक-वास केंद्र बनाने में नाकाम रहने का भी आरोप लगाया।
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