कोलकाता: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को पश्चिम बंगाल का दौरा करने वाले हैं। इस दौरे में वह 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की रणनीति के बारे में पार्टी नेताओं से चर्चा कर सकते हैं। हालांकि उनके दौरे से पहले ही राज्य कांग्रेस 2 गुटों में बटी हुई नजर आ रही है। पार्टी का एक गुट जहां तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए जोर दे रहा है, वहीं दूसरा गुट ममता बनर्जी के साथ गठबंधन के खिलाफ है और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ जाना चाहता है।
पार्टी में चल रही इस खींचतान को काबू में रखना कांग्रेस अध्यक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होने वाली है। आपको बता दें कि राज्य में पार्टी की हालत गुटबाजी के चलते बद से बदतर होती जा रही है। हालिया पंचायत चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और यह तृणमूल, भाजपा और वाम दलों के बाद चौथे नंबर पर खिसक गई। पंचायत चुनावों में खराब प्रदर्शन के बावजूद वर्ष 2019 के होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ उनकी लड़ाई में गठबंधन सहयोगी के चयन को लेकर प्रदेश इकाई में मतभेद जारी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा के लिये आधिकारिक रूप से 6 जुलाई को बैठक बुलाई गई है, लेकिन ‘तृणमूल कांग्रेस द्वारा कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में करना’ और तृणमूल या माकपा के साथ गठबंधन का मुद्दा भी इस दौरान उठने की संभावना है। राज्य कांग्रेस की ओर से प्रदेश महासचिव ओम प्रकाश मिश्रा द्वारा तैयार और केंद्रीय नेतृत्व को भेजी गई रिपोर्ट में संसदीय चुनाव के लिए सीपीएम से हाथ मिलाने की सिफारिश की गई है। हालांकि पार्टी सांसदों एवं विधायकों के एक धड़े का मानना है कि वर्ष 2019 में अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए तृणमूल के साथ हाथ मिलाना बेहतर तरीका होगा।
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