कोलकाता/नयी दिल्ली: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने नारद स्टिंग मामले में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के तीन विधायकों समेत चार नेताओं पर अभियोजन की मंजूरी देने के सीबीआई के अनुरोध पर सात मई को स्वीकृति दे दी थी। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। इससे दो दिन पहले ही ममता बनर्जी ने राज्य की मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी बार शपथ ली थी। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने तृणमूल कांग्रेस के विधायकों फरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा तथा पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी पर 2004 के उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के संदर्भ में मुकदमा चलाने के लिहाज से अनुमति के लिए राज्यपाल के कार्यालय से संपर्क किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात पर सहमति जताई थी कि राज्यपाल अभियोजन की मंजूरी दे सकते हैं। अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने राज्यपाल के कार्यालय से इस मामले में संपर्क किया था क्योंकि चारों नारद स्टिंग मामले के समय पिछली सरकार में मंत्री थे। इस मामले में नेताओं को कथित तौर पर पैसे लेते हुए कैमरे में कैद किया गया था।
अधिकारियों के अनुसार, चूंकि राज्यपाल मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं, इसलिए उनके कार्यालय को मंजूरी देने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि सीबीआई सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला देगी जो मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्रियों राजेंद्र कुमार सिंह और बिसाहू राम यादव से जुड़ा है और इसमें तत्कालीन राज्यपाल ने अभियोजन की मंजूरी दी थी।
हकीम मौजूदा राज्य सरकार में शहरी विकास मंत्री हैं और मुखर्जी के पास पंचायती राज तथा ग्रामीण मामलों का विभाग है। मित्रा विधायक हैं वहीं चटर्जी पूर्व विधायक हैं जो 2019 में तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये थे लेकिन हालिया विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने भाजपा भी छोड़ दी थी।
अधिकारियों ने कहा कि इन सभी नेताओं को ऐसे अपराध में गिरफ्तार और आरोपित किया गया है जो कथित तौर पर पिछले कार्यकाल में हुआ था और चूंकि उस समय ये सभी मंत्री थे, इसलिए मंजूरी देने का अधिकार राज्यपाल के कार्यालय को है।
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