अहमदाबाद: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़े विजय रूपाणी गुजरात में सत्ता संबंधी परेशानियों और हिंसक पाटीदार आंदोलन का सामना करने के बाद एक फिर आज प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। उन्हें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का विश्वास हासिल है। रंगून (मौजूदा समय में यंगून) में जन्मे रूपाणी (61 वर्ष) एक छात्र के रूप में ही आरएसएस शाखा में शामिल हुये। इसके बाद, वह आरएसएस की छात्र शाखा -अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से भी जुड़े रहे।
विधानसभा चुनाव में रूपाणी के गृहनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार का चेहरा थे। जैन समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रूपाणी ने पार्टी की मशीनरी को सक्रिय करते हुए अपनी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी कारकों को निष्क्रिय कर दिया और राज्य में पार्टी के वोटों के सबसे बड़े आधार रहे पाटीदार समुदाय के आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन के नकारात्मक प्रभाव को भी खत्म किया। उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों में कृषि से जुड़ी समस्याओं, नोटबंदी तथा जीएसटी की वजह से कारोबार के क्षेत्र में आई सुस्ती से उपजे मोहभंग पर भी पार पा लिया।
राज्य में लंबे समय बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा की सीटें कम आने के बावजूद पार्टी नेतृत्व द्वारा रूपाणी का मुख्यमंत्री के रूप में चुना जाना यह बताता है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव तक भाजपा राज्य में यथास्थिति बरकरार रखना चाहती है। हालांकि रूपाणी दूसरी बार ही विधायक बने हैं लेकिन उन्होंने यह साबित किया है कि वह कुशल प्रशासक हैं।
रूपाणी पहले गुजरात में ज्यादातर पार्टी के संगठन से संबंधित जुड़े काम करते थे। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव साल 2014 में लड़ा। राजकोट वेस्ट विधानसभा सीट खाली हुई थी और उपचुनाव में रूपाणी को जीत मिली। इस बार भी उन्हें इस सीट पर 53,000 से ज्यादा मतों से जीत मिली है।
कानून से स्नातक रूपाणी साल 2006-2012 के बीच राज्यसभा के भी सदस्य चुके हैं।
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