VIDEO: ये है बाबा राम रहीम के महल, हरम और सीक्रेट गुफा का सच
राम रहीम के सलाखों के पीछे जाने के बाद अब तक कई राज़ बेपर्दा हो चुके हैं। बाबा के कई हमराज़ उसके पापों का पुलिंदा दुनिया के सामने खोल चुके हैं..लेकिन अब भी बहुत से सीक्रेट हैं जो बाहर आने बाकी है।
राम रहीम के सलाखों के पीछे जाने के बाद अब तक कई राज़ बेपर्दा हो चुके हैं। बाबा के कई हमराज़ उसके पापों का पुलिंदा दुनिया के सामने खोल चुके हैं..लेकिन अब भी बहुत से सीक्रेट हैं जो बाहर आने बाकी है। ऐसे ही राज फ़ाश करने के लिए इंडिया टीवी ने लंदन से लेकर सिरसा पड़ताल की। अपनी पड़ताल में बलात्कारी बाबा के 3 ऐसे राजदारों को खोज निकाला जिन्होंने उसके ऐसे राज परत दर परत खोले जिन्हें सुन कर आप सन्न रह जाएंगे। बाबा के महल से लेकर हरम तक और सीक्रेट गुफा से लेकर आश्रम तक का स्याह सच सामने ला दिया।
बाबा के हमसाए ने खोला राज़
हम आपको बाबा के उस टॉर्चर रूम का डरावना सच बता रहे हैं जहां नाफरमानी करने वालों को जिंदा जला दिया जाता था। राम-रहीम के इस राजदार का नाम है बेअंत सिंह जो राम-रहीम की रग-रग से वाकिफ है। कभी राम-रहीम के साथ हमसाए की तरह चलने वाला बेअंत सिंह राम-रहीम की ब्लैक कैट कमांडो वाली टुकड़ी का हिस्सा था। बेअंत डेरा छोड़कर 6 हजार किलोमीटर दूर लंदन में बस चुका है। इंडिया टीवी ने सिरसा से लंदन तक इन राजदारों की तलाश की।
बाबा के दुश्मनों को कैसे डेरा में मारने के बाद गाड़ दिया जाता था बेअंत सिंह को आज भी याद है। बाबा की गुफा के पास टॉर्चर रूम में कैसे लोगों को ठिकाने लगाया जाता था, बेअंत सिंह इसकी पूरी कहानी बताई, राम-रहीम की लंका में इंसानों की कितनी हड्डियां दफ्न हैं, बेअंत सिंह इसका पूरा सच बताया।
बाबा के इस बॉडीगार्ड से जब हमने सवाल किए तो जवाब सुनकर पैरों तले ज़मीन खिसक गई। बेअंत सिंह ने बताया कि राम-रहीम ने अपनी शाही गुफा के पास एक मन सुधार रूम बना रखा था। कहने को तो यहां बिगड़े हुए लोगों को सुधारा जाता था लेकिन हकीकत में ये एक कसाईखाना था जहां क्रूरता की सारी हदें पार कर दी जाती थीं, पीट-पीटकर बाबा के दुश्मनों को ठिकाने लगाया जाता था।
बेअंत सिंह ने बताया, ''जो लोग डेरे या बाबा को स्वीकार नहीं करते हैं या खिलाफ बोलता है या ये पता चल गया कि बाबा का ब्लैकमनी है, उसको मारना शुरू कर देते थे...इनको मारते कहां थे...एक मन सुधार कमरा हुआ करता था...पुराने डेरे में गुफा के पास पीछे एक रूम था...उस रुम की कोई विंडो नहीं थी....एक गेट था..उसका नाम था मन सुधार कमरा...उसी में रखते थे और मारते थे...और नजदीक पड़ती थी भाखड़ा नदी, उसमें उसकी बॉडी फेंक दिया करते थे...उसका फेस खराब कर देते थे।"
भाखरा नदी में लाशों को फेंकते थे
बाबा के पूर्व बॉडीगार्ड के मुताबिक राम-रहीम विरोधियों को सिर्फ मन सुधार कमरे में ही नहीं डेरे के बाहर भी मरवाता था। पहले राम रहीम की चांडाल चौकड़ी सिरसा में बहने वाली भाखरा नदी में लाशों को फेंक देती थी लेकिन बाबा का चेहरा सरेआम न हो जाए, इसके लिए उसने शवों को डेरे के भीतर ही ठिकाने लगाने का खेल शुरु कर दिया।
भक्तों का अंगदान के नाम पर भी मर्डर हुआ
बेअंत के मुताबिक़ कत्ल करवा कर राम रहीम लाशों को समाधि की अवस्था में रखवा देता था और बाद में रिसर्च के नाम पर लाशों को ठिकाने लगा देता था। ''बाद में मारने का तरीका बदल लिया.. लोगों को बोलता था कि बंदे ने देह दान कर दिया है.. लोगों को इमोशनली ब्लैकमेल किया मरने के बाद देह दान कर दें और उस पर एक्सपेरिमेंट होंगे... बाबा ने ऐसे ऑर्डर किए.. लोगों से शपथ पत्र लिए.. हड्डियों को डेरे में बेरियावाला बाग था उसके पास मारे गए लोगों की हड्डियां गाड़ देते थे।''
खेतों में हड्डियां फिंकवाकर फ़सल उगाई
बेअंत का दावा है कि शैतान राम-रहीम ने डेरा के अंदर खेतों में जगह-जगह हड्डियां फिंकवा रखी हैं। दुनिया की नजरों में धूल झोंकने के लिए वहां फसल उगाई जाती है ताकि इस कत्लगाह का सच दुनिया के सामने न आ सके।
लंदन में रह रहे बेअंत सिंह ने खुलासा किया कि हत्या के बाद शव को जला दिया जाता था ताकि कोई सबूत न बचे। लोग जब आग बुझाने आए उन्हें डराकर भगा दिया करता था। ''वहां लकड़ियों का इंतजाम पहले से था. और लकड़ियों को सजाकर उसकी डेड बॉडी को जलाया गया... ये डेरे के पास बिल्कुल.. शायद मोटर नंबर-11 के पास होगा...मोटरों के वहां पर नंबर हैं...मुझे ज्यादा पता नहीं कितने नंबर हैं... गोरे की डेड बॉडी को आग लगाया गया... जो लोग आग बुझाने के लिए वहां आ रहे थे, उनको रोक लिया गया.. नहीं भाई यहां पर आना नहीं है.. मोटर वाला रूम है.. आग लग सकती है।''
जल्लाद राम रहीम इतना बड़ा हैवान था कि उसे जरा सी भनक लगती कि किसी भक्त या बॉडीगार्ड को उसके काले कारनामों का पता चल गया या कोई सेवादार उसके ब्लैकमनी के कारोबार को सरेआम कर सकता है तो ये हैवान उसका काम तमाम कर देता। बाबा और गुर्गे विरोधियों के पीछे पड़ जाते और उसे या तो डेरे से भीतर ही ठिकाने लगा देते या फिर डेरे के बाहर।