नई दिल्ली: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शुक्रवार को दिल्ली में भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं से मिलीं। वसुंधरा राजे का दिल्ली दौरा इस मायने में भी खास है, क्योंकि उनकी नाराजगी की खबरें पिछले कई दिनों से सियासी गलियारे में गूंजती रहीं हैं। बीते दिनों पार्टी की कोर कमेटी की बैठक से भी उनके गायब रहने पर सवाल उठे थे। वसुंधरा राजे ने दिल्ली में राज्य के प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह से करीब डेढ़ घंटे तक भेंट की। दोनों नेताओं के बीच राजस्थान के सियासी हालात पर चर्चा हुई। इसके बाद वसुंधरा राजे ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और धर्मेंद्र प्रधान से भेंट की।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि राज्य में तीन सीटों के उपचुनाव और निकाय चुनावों पर उनके बीच चर्चा हुई। हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि समर्थकों की ओर से पिछले कुछ दिनों से बागी रुख अख्तियार करने और एक नया मंच बनाने की शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची शिकायतों पर आज वसुंधरा राजे ने अपना पक्ष रखा है।
सूत्रों का कहना है कि बीते 8 जनवरी को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उपनेता राजेंद्र राठौर दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले थे। इस दौरान बताया गया था कि वसुंधरा राजे के समर्थक उनके नाम से अलग मोर्चा बना रहे हैं। जिससे पार्टी संगठन के खिलाफ गलत संदेश जा रहा है। सूत्रों का कहना है इन शिकायतों पर वसुंधरा राजे ने राजस्थान प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह के सामने अपना पक्ष रखा है।
राजस्थान में घनश्याम तिवाड़ी की हाल में घरवापसी हुई है। घनश्याम को वसुंधरा राजे का विरोधी माना जाता है। सूत्रों का कहना है कि घनश्याम तिवाड़ी की वापसी को वसुंधरा राजे के लिए झटका माना जा रहा है। ऐसे में बताया जा रहा है कि वसुंधरा राजे ने दिल्ली में पार्टी नेताओं से मुलाकात करने के दौरान अपनी भावनाओं से अवगत कराया है।
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