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गांधी के विचारों को खत्म करने की कोशिश कभी नहीं होगी कामयाब: कांग्रेस

कांग्रेस ने आज भाजपा और आरएसएस का नाम लिए बिना उन पर राष्टपिता महात्मा गांधी के विचारों की हत्या का प्रयास करने आरोप लगाया और आगाह किया कि देश में ऐसी कोशिशें कभी कामयाब नहीं हो सकती हैं।

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नई दिल्ली: कांग्रेस ने आज भाजपा और आरएसएस का नाम लिए बिना उन पर राष्टपिता महात्मा गांधी के विचारों की हत्या का प्रयास करने आरोप लगाया और आगाह किया कि देश में ऐसी कोशिशें कभी कामयाब नहीं हो सकती हैं।

कांग्रेस के प्रवक्ता राज बब्बर ने महात्मा गांधी को चतुर बनिया बताने की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की टिप्पणी की ओर संकेत करते हुए आज संवाददाताओं से कहा, कुछ दिन पहले रायपुर में एक वजनदार शख्स ने, एक बड़े आदमी ने बहुत हल्की बात कही थी। ये वो लोग हैं जो महात्मा गांधी की छवि को, वजूद को, नाम को खराब करना चाहते हैं। इनको मन ही मन यह भय रहता है कि जब तक देश में गांधी की विचारधारा रहेगी, बंटवारे की सियासत एवं जमीन कमजोर ही रहेगी।

उन्होंने कहा, इसके लिए इन्हें बहुत जद्दोजहद करनी पड़ेगी। रोज नए-नए रास्ते ढूंढने पड़ेंगे। लेकिन यह लोग भूल जाते हैं कि इस देश के लोगों ने गांधी के विचारों को सामने रखकर गोलवलकर के विचारों को असरहीन कर दिया था। इसके बावजूद इन्हें समझा में नहीं आया और फिर ये गांधी के विचारों की हत्या का प्रयास कर रहे हैं।

बब्बर ने कहा, गोडसेवादियों और उनके वंशजों को हमेशा से गांधी के विचारों से चिढ़ रही है। गांधी के बारे में हल्की बात करना, उनके चित्र को करेंसी नोट से अलग रखने की सरकारी बात को लीक करना, गांधी के नाम की योजनाओं, उनकी स्मृतियों को खत्म करने की कोशिश। स्वच्छता अभियान में उनके चित्र को खत्म कर उनका चश्मा ले आना। किन्तु गांधी का विचार जिंदा है और रहेगा। खादी ग्रामोद्योग के केलेंडर से गांधी का चित्र हटवा कर उस व्यक्ति का चित्र डाला गया जिसकी गांधी से तुलना नहीं हो सकती।

उन्होंने कहा, इन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि गांधी ने सबकुछ त्याग कर चम्पारण में सत्याग्रह का बिगुल बजाया था। ये लोग तब भी किसानों से नहीं जुड़े थे और आज भी नहीं जुड़े हैं। आपको याद होगा कि चुनाव के दौरान किस तरह चिल्ला चिल्लाकर किसानों के पक्ष में वादे किए गये थे। किसका कर्ज माफ हुआ, कितना कर्ज माफ हुआ, आज तक वे इसका आंकड़ा नहीं बता पाये। आज मध्य प्रदेश के अंदर जब किसान संघर्षरत होता है तो उस पर गोलियां चलायी जाती हैं। वैसी ही गोली जो 30 जनवरी 1948 में गांधीजी पर चलायी गयी थी।

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