त्रिपुरा में जनजातीय परिषद चुनाव
अगरतला: त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के 30 सदस्यों के चुनाव के लिए रविवार को मतदान शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ। क्षेत्र में पहली बार चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के माध्यम से कराया
अगरतला: त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के 30 सदस्यों के चुनाव के लिए रविवार को मतदान शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ। क्षेत्र में पहली बार चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के माध्यम से कराया जा रहा है।
त्रिपुरा में संवैधानिक निकाय टीटीएएडीसी का चुनाव राज्य विधानसभा के चुनाव जितना ही महत्वपूर्ण है, जिसके लिए रविवार को मतदान कराए जा रहे हैं।
पुलिस अधीक्षक उत्तम कुमार भौमिक ने आईएएनएस को बताया, "क्षेत्र में मौसम अच्छा है। अभी तक मतदान शांतिपूर्ण रूप से चल रहा है। लगभग सभी मतदान केंद्रों पर महिला-पुरुषों की लंबी कतारें लगी हैं।"
त्रिपुरा के कुल 10,491.69 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का दो तिहाई इलाका टीटीएएडीसी के अधिकारक्षेत्र में आता है। मतदान के लिए यहां कुल 1,070 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
भौमिक ने बताया कि राज्य में किसी भी स्थान से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।
चुनाव आयुक्त संजय कुमार राकेश ने बताया कि चुनाव में 175 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं, जिनमें से 10 महिलाएं हैं। कुल 7,58,554 नागरिक मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं, जिनमें से 3,75,117 महिलाएं हैं।
अधिकारियों ने बताया कि टीटीएएडीसी चुनावों में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया जा रहा है और इसके लिए कुल 6,055 सरकारी कर्मचारियों और करीब 200 वरिष्ठ अधिकारियों को ड्यूटी पर नियुक्त किया गया है।
राकेश ने बताया कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा तृणमूल कांग्रेस सहित कई क्षेत्रीय पार्टियों ने भी स्वायत्त संवैधानिक निकाय चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं।
दो जनजातीय पार्टियां इंडिजनस नेशनल पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) और इंडिजनस पीपुल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने भी सभी 28 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
माकपा के पास क्षेत्र में जनजातीय एवं गैर जनजातीय दोनों ही समुदायों के मतदाताओं बीच मजबूत आधार है, जहां 1988-93 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली गठबंध सरकार के कार्यकाल को छोड़कर 1978 के बाद से लगाता वाममोर्चे की सरकार है।
वर्ष 1982 में 30 सदस्यीय टीटीएएडीसी का गठन त्रिपुरा में जनजातीय समुदायों के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृति हितों की रक्षा और संरक्षण के लिए किया गया था, जिसके 28 सदस्यों का चयन चुनाव के माध्यम से किया जाता है, जबकि शेष दो सदस्यों को सरकार नियुक्त करती है।
टीटीएएडीसी की 27 सीटें जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित हैं, जो त्रिपुरा की 37 लाख आबादी का एक तिहाई हैं।