मोदी सरकार की बड़ी सफलता, तीन तलाक बिल राज्यसभा से पास
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए आखिरकार तीन तालक बिल राज्यसभा से पास कराने में सफलता हासिल कर ली।
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए आखिरकार तीन तालक बिल राज्यसभा से पास कराने में सफलता हासिल कर ली। आज दिनभर चली लंबी चर्चा के बाद अंतत: शाम में हुई वोटिंग में यह बड़ी सफलता हासिल हुई। मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में लोकसभा से इसे पास करा लिया था लेकिन राज्यसभा में बहुमत नहीं रहने के चलते यह बिल वहां लटक गया था। लेकिन मंगलवार को राज्यसभा में बिल पर वोटिंग के बाद सरकार इस बिल को पास कराने में कामयाब हो गई है, राज्यसभा में बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े हैं। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह बिल कानून बन जाएगा।
राज्यसभा में बीजद के समर्थन तथा सत्तारूढ़ राजग के घटक जद(यू) एवं अन्नाद्रमुक के वाक आउट के चलते सरकार उच्च सदन में इस विवादास्पद विधेयक को पारित कराने में सफल हो गयी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। इस विधेयक को पारित कराते समय विपक्षी कांग्रेस, सपा एवं बसपा के कुछ सदस्यों तथा तेलंगाना राष्ट्र समिति एवं वाईएसआर कांग्रेस के कई सदस्यों के सदन में उपस्थित नहीं रहने के कारण सरकार को काफी राहत मिल गयी। इससे पहले उच्च सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के विपक्षी सदस्यों द्वारा लाये गये प्रस्ताव को 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया।
विधेयक पर लाये गये कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के एक संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया। कानून बनने के बाद यह विधेयक इस संबंध में 21 फरवरी को लाये गये अध्यादेश का स्थान लेगा। अब इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राज्यसभा में विधेयक पारित होने से पहले ही जदयू एवं अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने इससे विरोध जताते हुए सदन से बहिर्गमन किया।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक प्रसिद्ध न्यायाधीश आमिर अली ने 1908 में एक किताब लिखी है। इसके अनुसार तलाक ए बिद्दत का पैगंबर मोहम्मद ने भी विरोध किया है। प्रसाद ने कहा कि एक मुस्लिम आईटी पेशेवर ने उनसे कहा कि तीन बेटियों के जन्म के बाद उसके पति ने उसे एसएमएस से तीन तलाक कह दिया है। उन्होंने कहा ‘‘एक कानून मंत्री के रूप में मैं उससे क्या कहता? क्या यह कहता कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय को मढ़वा कर रख लो। अदालत में अवमानना का मुकदमा करो। पुलिस कहती है कि हमें ऐसे मामलों में कानून में अधिक अधिकार चाहिए।’’ उन्होंने शाहबानो मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार द्वारा लाये गये विधेयक का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ मैं नरेन्द्र मोदी सरकार का कानून मंत्री हूं, राजीव गांधी सरकार का कानून मंत्री नहीं हूं।’’ उन्होंने कहा कि यदि मंशा साफ हो तो लोग बदलाव की पहल का समर्थन करने को तैयार रहते हैं। प्रसाद ने कहा कि जब इस्लामिक देश अपने यहां अपनी महिलाओं की भलाई के लिए बदलाव की कोशिश कर रहे हैं तो हम तो एक लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हमें यह काम क्यों नहीं करना चाहिए?
उन्होंने कहा कि तीन तलाक से प्रभावित होने वाली करीब 75 प्रतिशत महिलाएं गरीब वर्ग की होती हैं। ऐसे में यह विधेयक उनको ध्यान में रखकर बनाया गया है। प्रसाद ने कहा कि हम ‘‘सबका साथ सबका विकास एवं सबका विश्वास’’ में भरोसा करते हैं और इसमें हम वोटों के नफा नुकसान पर ध्यान नहीं देंगे और सबके विकास के लिए आगे बढ़ेंगे और उन्हें (मुस्लिम समाज को) पीछे नहीं छोड़ेंगे। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रानिक रूप से या किसी अन्य विधि से तीन तलाक देता है तो उसकी ऐसी कोई भी ‘उदघोषणा शून्य और अवैध होगी।’ इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि तीन तलाक से पीड़ित महिला अपने पति से स्वयं और अपनी आश्रित संतानों के लिए निर्वाह भत्ता प्राप्त पाने की हकदार होगी। इस रकम को मजिस्ट्रेट निर्धारित करेगा।
राज्यसभा में यह दूसरा मौका है जब सरकार ने उच्च सदन में संख्या बल अपने पक्ष में नहीं होने के बावजूद महत्वपूर्ण विधेयक को पारित करवाया। इससे पहले कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद आरटीआई संशोधन विधेयक को उच्च सदन में पारित करवाने में सरकार सफल रही थी। तीन तलाक संबंधित विधेयक पारित करने के पक्ष में बीजद के सात सदस्यों ने समर्थन दिया। जदयू के छह एवं अन्नाद्रमुक के 11 सदस्यों के वाक आउट कर जाने के कारण सदन में बहुमत का आंकड़ा नीचे चला गया जो सामान्य तौर पर 121 रहता है। 242 सदस्यीय उच्च सदन में सत्तारूढ़ राजग के 107 हैं। (इनपुट-भाषा)