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बिहार चुनाव: बड़े चेहरे जो बिगाड़ सकते है चुनावी खेल

नई दिल्ली: बिहार में विधानसभा की जोरदार तैयारियां चल रही हैं। हर पार्टी ताबड़तोड़ रैलियों के जरिए जनता जनार्दन को रिझाने की पूरी कोशिश कर रही है। बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका

राम विलास पासवान-

रामविलास पासवान ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत समयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के तौर पर की थी। वो साल 1969 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चुने गए थे। साल 1974 में वो लोकदल से जुड़ गए और उन्हें इस पार्टी का महासचिव बनाया गया। आपातकाल के दौरान उन्हें भी गिरफ्तार किया गया। उन्होंने जनता पार्टी के सदस्य के तौर पर हाजीपुर लोकसभा सीट से रिकॉर्डतोड़ सीटों के साथ जीत हासिल की।

साल 1980, 1984, 1989,1996 और 2004 में उन्होंने लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। साल 1983 में उन्होंने दलित सेना का गठन किया था, ताकि समाज के इस वर्ग का उद्धार किया जा सके। साल 1989 में वीपी सिंह की सरकार में उन्हें क्रेंद्रीय श्रम एवं कल्याण मंत्री बनाया गया। वो साल 1996 से 1998 तक रेलमंत्री भी रहे। एनडीए की सरकार में साल 1999 से 2001 के दौरान वो कम्युनिकेशन मिनिस्टर भी रहे।

साल 2001 से 2001 के बीच उन्होंने कोयला मंत्रालय का भी जिम्मा संभाला। साल 2000 में उन्होंने लोकजनशक्ति पार्टी का गठन किया और यूपीए सरकार के साथ हो लिए। उन्हें रसायन एवं उर्वरक और इस्पात मंत्री बनाया गया। पासवान के नाम यह रिकॉर्ड दर्ज है कि वो 1996 से 2009 तक पांच प्रधानमंत्रियों के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।

2009 में हाजीपुर सीट से चुनाव हारने के बाद वो साल 2010 से 2010 तक राज्यसभा सदस्य रहे, इसके बाद उन्होंने एनडीए का दामन थामा और साल 2014 में एक बार फिर हाजीपुर सीट से उन्हें जीत हासिल हुई।

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