A
Hindi News भारत राजनीति बिहार चुनाव: बड़े चेहरे जो बिगाड़ सकते है चुनावी खेल

बिहार चुनाव: बड़े चेहरे जो बिगाड़ सकते है चुनावी खेल

नई दिल्ली: बिहार में विधानसभा की जोरदार तैयारियां चल रही हैं। हर पार्टी ताबड़तोड़ रैलियों के जरिए जनता जनार्दन को रिझाने की पूरी कोशिश कर रही है। बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका

सुशील कुमार मोदी-

सुशील कुमार मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य उस वक्त बन गए थे जब वो महज 10 साल के थे। उन्हें तीन साल आरएसएस में कड़ी ट्रेनिंग मिली और वो इस संगठन के पूर्णकालिक सदस्य बन गए। इसके बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और वो पटना विश्वविद्यालय में छात्र इकाई के महासचिव बने। लालू प्रसाद इस वक्त प्रेसिडेंट थे।

साल 1974 में वो जेपी आंदोलन से जुड़े और आपातकाल के दौरान उन्हें तमाम गतिविधियों के चलते मीसा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया। जेल से रिहाई के बाद उन्हें अखिल भारतीय विश्व हिंदू परिषद का महासचिव बनाया गया। इसके बाद वो साल 1990 में सक्रिय राजनीति में उतरे और वो पटना की केंद्रीय सीट से विधायक चुने गए। उन्हें विधानसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से मुख्य व्हिप चुना गया। मोदी को साल 1995 और 2000 में फिर से विधायक चुना गया। वो साल 2004 तक बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। इसी दौरान उन्होंने चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जनहित याचिका दायर की ताकि इस मामले में सीबीआई जांच हो सके और इस मामले में उन्हें और उनके सहयोगियों को जेल भेजा जा सके।

साल 2004 में सुशील मोदी को भागलपुर लोकसभा सीट से चुना गया। नवंबर 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जब भाजपा और जेडीयू सत्ता में आए, मोदी ने लोकसभा की सीट छोड़ दी और वो भाजपा विधायक दल के नेता बन गए। वो नीतीश कुमार की सरकार में उपमुख्यमंत्री भी रहे। वो जीएसटी पर वित्तमंत्रालय की समिति के चेयरपर्सन भी रहे। लोकसभा चुनाव में 2014 तक उन्होंने तब तक यह जिम्मेदारी संभाली जबतक जेडीयू ने गठबंधन नहीं तोड़ा। बिहार विधानसभा चुनाव में वो एक उभरता हुआ नाम हैं और माना जा रहा है कि अगर एनडीए जीत हासिल करती है तो उन्हें मुख्यमंत्री भी बनाया जा सकता है।

अगली स्लाइड में पढ़ें अन्य प्रमुख चेहरों के बारे में

Latest India News