जम्मू में कांग्रेस नेताओं की मोर्चाबंदी से टीम राहुल गांधी नाखुश, पूछा- क्या इससे BJP को नहीं होगा फायदा?
जम्मू में कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के जमावड़े को लेकर दिल्ली में भी हलचल तेज है। सूत्रों के मुताबिक, सीनियर नेताओं की मोर्चाबंदी से टीम राहुल गांधी नाखुश है।
नई दिल्ली: जम्मू में कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के जमावड़े को लेकर दिल्ली में भी हलचल तेज है। सूत्रों के मुताबिक, सीनियर नेताओं की मोर्चाबंदी से टीम राहुल गांधी नाखुश है। राहुल गांधी की टीम को शिकायत है कि विधानसभा चुनावों में प्रचार की बजाय सीनियर नेता अपनी शिकायतों को तरजीह दे रहे हैं जबकि राहुल गांधी पार्टी को मजबूत करने के लिए जमीन पर मेहनत कर रहे हैं।
सीनियर नेताओं द्वारा उठाए गए इस कदम पर टीम राहुल गांधी का मानना है कि मोर्चाबंदी से कांग्रेस की उम्मीदों को झटका लग सकता है। राहुल गांधी की टीम ने इससे बीजेपी को फायदा होने की संभावना जताई है। उनकी टीम ने सवाल उठाया है कि क्या इससे बीजेपी को फायदा नहीं होगा। टीम राहुल गांधी का कहना है कि इस मोर्चाबंदी को कांग्रेस के वफादार सिपाही कभी नहीं भूलेंगे।
क्या है पूरा मामला?
कांग्रेस के G-23 गुट के नेताओं ने गांधी परिवार के खिलाफ खुली मोर्चाबंदी कर दी है। जम्मू में G-23 के नेता एक मंच पर भगवा पगड़ी पहनकर जुटे। इस मंच से कांग्रेस के दिग्गजों ने अपने नेतृत्व पर सवाल उठाया है। इन लोगों ने कहा कि पार्टी को मजबूत करने को लिए जो भी बलिदान करना होगा हम करेंगे। जम्मू के इस कार्यक्रम में गुलाम नबी आजाद, राज बब्बर, मनीष तिवारी, और आनंद शर्मा भी शामिल हुए हैं।
कपिल सिब्बल ने गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से विदाई पर भी सवाल उठाया और कहा कि हम आजाद से आजाद नहीं होना चाहते थे पार्टी ने उनके अनुभव का इस्तेमाल क्यों नहीं किया? उन्होंने कहा-सच्चाई ये है कि कांग्रेस पार्टी हमें कमजोर होती दिख रही है। अब इकट्ठा होकर हमें इसे मजबूत करना है।
वहीं, आनंद शर्मा ने कहा कि हमसे कोई भी खिड़की से नहीं आए। उन्होंने कहा, 'सब दरवाजे से आए हैं। हमारी पहचान कांग्रेस की रही है और कांग्रेस भी हमारी पहचान है। ये अधिकार किसी की नहीं कि हमें कोई बताए कि कांग्रेस क्या है। यह हक किसी का नहीं है। हम बता सकते हैं कांग्रेस क्या है। हम बनाएंगे कांग्रेस को। पिछले 10 सालों में कांग्रेस कमजोर हुई है।'
आनंद शर्मा ने कहा कि 'दो भाई अलग-अलग मत रखते हों, तो इसका मतलब यह नहीं है कि घर टूट जाएगा। या भाई, भाई का दुश्मन हो जाता है, ऐसा तो नहीं हो जाता है। अगर कोई अपना मत न व्यक्त करे कि उसका कोई क्या मतलब न निकाल ले, फिर वह घर मजबूत नहीं रहता है।' वहीं, मनीष तिवारी ने कहा कि तमाम राष्ट्रवादी सोच के लोगों को एक मंच पर आना होगा और उसमें आजाद साहब की भूमिका काफी बड़ी होगी।
बैठक की शुरुआत में गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'पिछले 5-6 साल से इन सभी दोस्तों ने जम्मू-कश्मीर को लेकर, यहां की बेरोजगारी, राज्य का दर्जा छीनने, इंडस्ट्री को खत्म करने, शिक्षा और जीएसटी लागू करने के मुद्दे लेकर संसद में मुझसे कम नहीं बोला है। चाहे जम्मू हो या कश्मीर या लद्दाख, हम सभी धर्म, लोगों और जाति का सम्मान करते हैं। हर एक समान रूप से सभी का आदर करते हैं। यह हमारी ताकत है और इसे हम आगे भी जारी रखेंगे।'