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त्रिपुरा में लेनिन के बाद अब तमिलनाडु में तोड़ी गई पेरियार की मूर्ति

ईवीआर रामास्वामी 'पेरियार' एक समाज सुधारक थे। वे बीसवीं सदी में तमिलनाडु के एक प्रमुख राजनेता थे। पेरियार ने जस्टिस पार्टी का गठन किया था। ईवीआर रामास्वामी पेरियार रुढ़िवादी हिन्दुत्व के घोर विरोधी थे और वे पुराणों में कही गई बातों को बेतूका मानते थे

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नई दिल्ली: त्रिपुरा में रूसी क्रांति के नायक रहे व्लादिमिर लेनिन की मूर्ति गिराए जाने के बाद तमिलनाडु के वेल्लोर में समाज सुधारक ईवीआर रामास्वामी 'पेरियार' की मूति को नुकसान पहुंचाया गया है। यह घटना भाजपा के एक सीनियर नेता के विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के कुछ घंटे बाद हुई है। त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति गिराए जाने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एच राजा ने बयान दिया था कि 'त्रिपुरा में लेनिन के बाद अब तमिलनाडु में पेरियार की बारी है। पेरियार की प्रतिमा तिरूपत्तुर निगम कार्यालय के अंदर लगी है, जिसे रात करीब 9 बजे निशाना बनाया गया। पेरियार की मूर्ति के चश्मे और नाक को नुकसान पहुंचाया गया है। मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें एक भाजपा का सदस्य है जबकि दूसरा सीपीआई कार्यकर्ता है।

कौन थे पेरियार?
ईवीआर रामास्वामी 'पेरियार' एक समाज सुधारक थे। वे बीसवीं सदी में तमिलनाडु के एक प्रमुख राजनेता थे। पेरियार ने जस्टिस पार्टी का गठन किया था। ईवीआर रामास्वामी पेरियार रुढ़िवादी हिन्दुत्व के घोर विरोधी थे और वे पुराणों में कही गई बातों को बेतूका मानते थे। उन्होंने हिंदू वर्ण व्यवस्था का विरोध किया था। पेरियार ने हिंदी की अनिवार्य पढ़ाई का भी विरोध किया था।

वहीं लेनिन की मूर्ति गिराए जाने की घटना के बाद त्रिपुरा समेत पूरे देश में लेफ्ट समर्थकों में नाराजगी देखी जा रही है। कोलकाता में लेफ्ट नेताओं ने लेनिन की मूर्ति तोड़ने के खिलाफ प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इसी बीच लेफ्ट और भाजपा नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी त्रिपुरा में हो रही हिंसा पर प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि आज भाजपा के कार्यकर्ता त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति तोड़ रहे हैं, कल वे विवेकानंद और दूसरी हस्तियों की मूर्ति के साथ भी यही हश्र कर सकते हैं।

त्रिपुरा में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद सिर्फ लेनिन की मूर्ति ही नहीं तोड़ी जा रही है बल्कि लेफ्ट समर्थकों को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है। कहीं लेफ्ट दफ्तर में आगजनी की घटनाएं सामने आ रही हैं तो कहीं लेफ्ट कार्यकर्ताओं के घरों में तोड़फोड़ और गुंडागर्दी की जा रही है। सीपीएम के मुताबिक चुनावी नतीजे आने के बाद से अब तक 514 कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की घटना हुई है। लेफ्ट समर्थकों के 1539 घरों में तोड़फोड़ हुई है जबकि 196 घरों में आग लगा दी गई। पूरे त्रिपुरा में अब तक लेफ्ट के 134 दफ्तरों में तोड़फोड़ की घटना हुई है और 64 दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया गया। इतना ही नहीं भाजपा पर सीपीएम के 208 दफ्तरों पर कब्जा करने का भी आरोप है।

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