नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत मिलती है या नहीं इसपर बुधवार को देश की सर्वोच्च अदालत अपना फैसला सुनाएगी। आईएनएक्स मीडिया मामले में पी चिदंबरम को जेल में 100 दिन से ज्यादा हो चुके हैं, इस मामले में पहले उन्हें सीबीआई की हिरासत में रखा गया था और बाद में प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में रखा गया। पी चिदंबरम को 21 अगस्त 2019 के दिन आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तार किया गया था।
चिदंबरम को केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने 21 अगस्त को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया था। इस मामले में कांग्रेस के नेता को उच्चतम न्यायालय ने 22 अक्टूबर को जमानत दे दी थी। इसी बीच, सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर दर्ज धन शोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने 16 अक्टूबर को चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया था। निचली अदालत के आदेश पर धन शोधन के मामले में वह 27 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में हैं।
जांच ब्यूरो ने 15 मई 2017 को दर्ज मामले में आरोप लगाया था कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ रुपए का धन प्राप्त करने की मंजूरी देने में अनियमितताएं हुयीं।
इस प्राथमिकी के आधार पर ही प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन का मामला दर्ज किया था। उच्च न्यायालय ने पूर्व वित्त मंत्री को जमानत देने से इंकार करते हुये कहा था कि आर्थिक अपराध के मामले में उन्हें जमानत दिये जाने का जनता में गलत संदेश जायेगा।
हालांकि, चिदंबरम ने उच्च न्यायालय से जमानत के लिये अनुरोध करते हुये कहा था कि सारे दस्तोवजी साक्ष्य जांच एजेन्सियों के कब्जे में हैं और वह इनके साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं कर सकते। दूसरी ओर, प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुये दावा किया था कि उन्होंने गवाहों को कथित तौर पर प्रभावित करने और धमकाने का प्रयास किया है।
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