नई दिल्ली: भाजपा सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी की एक चिट्ठी पर आज सियासी घमासान होना तय है। स्वामी ने ये चिट्ठी राष्ट्रपति को लिखी है और अपनी ही पार्टी की सांसद और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर कार्रवाई की मांग की है। कश्मीर में पत्थरबाजों से हमदर्दी और सेना से बेदर्दी वाले सरकारी फैसले के ख़िलाफ़ उन्होंने सीधे देश के राष्ट्रपति से गुहार लगाई गई है। शिकायत में कहा गया है कि महामहिम एक्शन लें, देश की रक्षा मंत्री को समन भेजें और पूछें कि क्या देश की हिफाजत में जान हथेली पर रखने वाले जवानों पर केस दर्ज करने की इजाजत आपने दी थी।
स्वामी ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, “जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य विधानसभा में खुलासा किया है कि रक्षा मंत्री की अनुमति के बाद ही जम्मू-कश्मीर सरकार के निर्देश पर सेना और उसके एक अफसर के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई। मुख्यमंत्री के खुलासे के 10 दिन बाद भी सीतारमण की खामोशी बताती है कि इसमें उनकी सहमति है। लिहाजा, आप इस संवेदनशील मामले में रक्षा मंत्री को समन जारी कर जवाब मांगें और संविधान के मुताबिक एक्शन लें।“ सुब्रहमण्यम स्वामी सांसद के साथ-साथ एक वकील भी हैं और संविधान की समझ रखते हैं। लिहाजा उन्होंने कानून के पन्ने खोलकर रख दिए और राष्ट्रपति को भेजी अपनी चिट्ठी में लिखा कि बिना केंद्र सरकार की मंज़ूरी के एफआईआर दर्ज हो ही नहीं सकती।
उन्होंने आगे लिखा कि AFSPA के सेक्शन 7 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए भारत सरकार की अनुमति जरूरी है। सवाल है कि क्या इस सेक्शन का पालन किया गया और औपचारिक मंजूरी दी गई? मैं मांग करता हूं कि रक्षा मंत्री इस मसले पर बयान दें कि क्या उन्होंने सेना और उसके जवानों के मनोबल को नुकसान पहुंचाने वाले एफआईआर की अनुमति दी थी, जो जम्मू-कश्मीर की रक्षा और देश की अखंडता कायम रखने के लिए रोज जान गंवाते हैं। शोपियां में क्या हुआ ये पूरा देश जानता है। 27 जनवरी को पाकिस्तान से पैसे लेकर सेना पर पत्थर चलाने वाली भाड़े की भीड़ जवानों की जान लेना चाहती थी। मौत सामने देख सैनिकों ने गोली चलाई जिसमें मौके पर ही दो पत्थरबाजों की मौत हो गई। अलगाववादी हंगामा खड़ा करने लगे तो महबूबा सरकार ने सेना के ख़िलाफ़ ही एफआईआर दर्ज करा दी और सेना की वो सफाई नहीं सुनी गई जो फायरिंग के बाद जारी की गई थी।
शोपियां फायरिंग पर सेना ने अपने बयान में कहा था कि जवानों ने सेल्फ डिफेंस में गोली चलाई थी। भीड़ की पत्थरबाजी से JCO बेहोश हो गया था और भीड़ अफसर को जान से मारना चाहती थी। अफसर का हथियार छीनना चाहती थी। लोग जवानों की गाड़ियों को आग लगाना चाहते थे। जब भीड़ काफी करीब आई तो गोली चलानी पड़ी। सेना के बयान की पुष्टि वो तस्वीरें और काफिले की टूटी गाड़ियां इस बात की गवाह हैं कि गुनहगार कौन था और दोषी किसे ठहराया जा रहा है।
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