नयी दिल्ली: राज्यसभा में भाजपा के एक सदस्य ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध करने की आड़ में कथित तौर पर देश को तोड़ने की बात करने वालों और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से अराजकता पैदा करने के प्रयास करने वालों पर कठोर कार्रवाई किए जाने की मांग उठाई। सीएए का मुद्दा उठाते हुए उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान भाजपा के आर के सिन्हा ने कहा, ‘‘संसद के दोनों सदनों में सीएए संबंधी विधेयक को बहुमत से पारित किया गया और कानून बनने के बाद इसे लागू किया गया। कई जगहों पर इसका विरोध किया गया।’’
सिन्हा ने कहा, ‘‘विरोध पर कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का अधिकार है और ऐसे विरोध का स्वागत भी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन देखने को मिला कि विरोध की आड़ में देश को तोड़ने के नारे लगाए गए और राष्ट्र विरोधी गतिविधियां हुईं। ऐसे हालात पैदा किए गए कि अराजकता की स्थिति बन जाए। यह चिंताजनक है। ऐसा कदापि नहीं होना चाहिए।’’
सिन्हा ने राजनीतिक दलों से मिल बैठकर बातचीत करने एवं समाधान निकालने की अपील करते हुए कहा कि देश को तोड़ने की बात करने वालों और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से अराजकता पैदा करने के प्रयास करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। शून्यकाल में ही तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक ने पुलिस की हिरासत में कथित यातना दिए जाने पर रोक लगाने के लिए सरकार से एक विधेयक लाए जाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक व्यापक और अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक होना चाहिए जिसमें यातना को परिभाषित किया जाए और जवाबदेही भी तय होनी चाहिए। कांग्रेस के प्रो एम वी राजीव गौड़ा ने कार्यस्थलों पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के लिए एक नया कठोर कानून बनाए जाने की मांग उठाई। उन्होंने ऐसे मामलों का समयबद्ध तरीके से निपटारा करने के लिए एक निवारण तंत्र बनाए जाने की मांग भी की।
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