नई दिल्ली: राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन उससे पहले बीजेपी के लिए पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष चुनना सिरदर्द का सबब बन गया है। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए पार्टी हाईकमान और मुख्यमंत्री की राय अलग-अलग है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आज इस सिलसिले में दिल्ली में पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ मीटिंग करेंगी। इस पद को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे में एक राय नहीं बन पा रही है। कहा जा रहा है कि अमित शाह ने गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाने का मन बना लिया है।
शेखावत मोदी सरकार में कृषि राज्यमंत्री हैं, जोधपुर से सांसद हैं और राजपूत समुदाय से आते हैं लेकिन खबरों के मुताबिक वसुंधरा राजे इस बात पर राजी नहीं हैं। वसुंधरा राजे गुट बीजेपी आलाकमान को ये समझाने की कोशिश कर रहा है कि शेखावत को पार्टी अध्यक्ष बनाने से जाट समुदाय में नाराज़गी बढ़ सकती है। राजस्थान में इस साल बीजेपी दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में हार चुकी है और कहा जा रहा है कि इस हार में जाट समुदाय की अहम भूमिका रही। ऐसे में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए वसुंधरा राजे गुट नहीं चाहता कि राज्य में पार्टी की कमान एक राजपूत नेता यानि गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपी जाए।
अपनी बात पार्टी हाईकमान तक पहुंचाने के लिए वसुंधरा राजे सरकार के 20 से ज्यादा मंत्री और 20 विधायकों ने दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। सोमवार को इन लोगों ने संगठन महासचिव रामलाल से मुलाक़ात कर शेखावत के खिलाफ अपनी नाराजगी बता दी। सूत्रों के मुताबिक रामलाल ने राजस्थान से आए सभी मंत्रियों और विधायकों को भरोसा दिया और कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के लिए सबकी राय ली जाएगी लेकिन अंतिम फैसला पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ही लेंगे।
कहा जा रहा है कि अगर वसुंधरा राजे की मांग मानकर शेखावत का नाम खारिज किया जाता है तो फिर अगला प्रदेश अध्यक्ष ना राजपूत होगा और ना ही जाट। सूत्रों की मानें तो राजे ने अपना दांव अरुण चतुर्वेदी पर लगाया है। चतुर्वेदी राजस्थान सरकार में सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री हैं और ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। ऐसे में उनके अध्यक्ष बनने से जाट और राजपूतों में किसी प्रकार का विरोध नहीं होगा। राजस्थान में विधानसभा चुनाव को सात-आठ महीने बचे हैं ऐसे में बीजेपी हाईकमान भी नहीं चाहेगा कि पार्टी में किसी तरह का विवाद हो।
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