नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा और रालोद ने भाजपा को मात देने के लिए गठबंधन किया था, लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो ये गठबंधन पूरी तरह धाराशाही हो गया। बसपा को जहां 10 लोकसभा सीटें नसीब हुईं तो वहीं सपा को महज 5 सीटें ही मिलीं। लोकसभा चुनाव में रालोद के चौधरी अजीत सिंह, जयंत चौधरी तो वहीं सपा की डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव औऱ अक्षय यादव को हार का सामना करना पड़ा।
लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से इन तीनों दलों ने अभी तक गठबंधन के भविष्य पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन सूत्रों की मानें तो बसपा प्रमुख मायावती ने यूपी में 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। दरअसल लोकसभा चुनाव में हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने दिल्ली के गुरुद्वारा रक़ाबगंज रोड पर स्थित पार्टी कार्यालय पर बुलाई पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई। इस बैठक में बसपा के यू॰पी॰ ज़िला अध्यक्ष, ज़ोनल कॉर्डीनेटर, सभी लोकसभा प्रत्याशी, जीते हुए सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
यादव और जाट वोट को लेकर ही ये बात
मायावती की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा की गयी। लोकसभा नतीजों के बाद बसपा की इस बड़ी बैठक में आने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति पर भी चर्चा हुई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में ईवीएम के अलावा समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के वोट बैंक को लेकर भी जमकर मंथन हुआ। सूत्रों के मुताबिक मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी को न तो समाजवादी पार्टी का यादव वोट और न ही अजित सिंह की पार्टी का जाट वोट ट्रांसफर हो पाया।
शिवपाल ने लगाई यादव वोट बैंक में सेंध
सूत्रों के मुताबिक मायावती ने कहा कि शिवपाल यादव ने यादव वोट में सेंध लगाई। बीजेपी को यादवों का वोट डलवाया गया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपनी पत्नी को नहीं जीता पाए क्योंकि यादवों ने भाजपा को वोट दिया। ऐसे में जब सपा कन्नौज, फिरोजाबाद और मैनपुरी में ही यादवों का वोट नहीं ले पाई तो यादव वोट बसपा को कैसे ट्रांसफर होता, जिसका गठबंधन को नुकसान हुआ। सूत्रों ने बताया कि बैठक में मायावती ने ये भी कहा कि कांग्रेस का वोट बसपा को मिला लेकिन काफी वोट कांग्रेस ने काट लिया।
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