नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 22 मई को विपक्षी दलों की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक बुलाई है, जिसमें कोरोना वायरस महामारी के बीच प्रवासी श्रमिकों की स्थिति और मौजूदा संकट से निपटने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों एवं आर्थिक पैकेज पर मुख्य रूप से चर्चा होगी। सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि सोनिया गांधी विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक की अध्यक्षता करेंगी।
सूत्रों का कहना है कि करीब 17 राजनीतिक दलों ने इस बैठक में शामिल होने पर सहमति जताई है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अब तक बैठक में शामिल होने की पुष्टि नहीं की है। यह बैठक शुक्रवार को तीन बजे बुलाई गई है। कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए गत 25 मई से देश में लॉकडाउन लगने के बाद बड़ी संख्या में श्रमिक बड़े शहरों से अपने घर जाने के लिए पैदल निकल गए हैं। कई जगहों पर हुई दुर्घटनाओं में कई मजदूरों की मौत भी हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर प्रवासी श्रमिकों से जुड़े इस संकट से निपटने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
बैठक में कुछ प्रदेशों में श्रम कानूनों में हालिया बदलावों को लेकर भी चर्चा होगी। कुछ राज्यों में श्रम कानूनों में बदलाव करते हुए कामकाज के घंटों को बढ़ाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष ने कई विपक्षी नेताओं को निजी तौर पर फोन किया और प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे के निदान के लिए साझा रणनीति बनाने में उनका सहयोग मांगा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह इस बैठक में शामिल होंगी। उन्होंने बैठक की पुष्टि करते हुए कहा कि कांग्रेस ने देश में प्रवासी मजदूरों की दशा और श्रम कानूनों में बदलावों के विषय पर विचार-विमर्श करने के लिए शुक्रवार को समान विचार वाले दलों की बैठक बुलाई है।
भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा कि उनकी पार्टी इस बैठक में शामिल होगी और श्रम कानूनों को कमजोर किए जाने का मुद्दा उठाएगी। इस बैठक के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने हमेशा यह माना है कि संसद और लोकतंत्र दलों एवं राजनीति से ऊपर हैं। तय होने के बाद इस बैठक का ब्यौरा साझा किया जाएगा।
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