राहुल-पायलट की मुलाकात के बाद सोनिया ने की अशोक गहलोत से बात- सूत्र
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सोनिया गांधी और गहलोत के बीच राज्य के सियासी घटनाक्रम और सचिन पायलट को लेकर बातचीत हुई है।
जयपुर. राजस्थान की सियासत किस तरफ करवट लेगी, ये अभी कहना मुश्किल है। सोमवार दोपहर कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सचिन पायलट से मुलाकात की थी, जिसके बाद अब पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात की है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सोनिया गांधी और गहलोत के बीच राज्य के सियासी घटनाक्रम और सचिन पायलट को लेकर बातचीत हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस के वेणुगोपाल पिछले 6 दिनों से जैसलमेर में थे, उन्होंने वहां हर एक विधायक से बात करके अपनी रिपोर्ट बनाई है, जो आलाकमान को दी गई है। इसके बाद ही राहुल औऱ पायलट के बीच बातचीत हुई है।
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करीब 90 मिनट चली राहुल-पायलट की मुलाकात- सूत्र
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी के आवास पर इस मुलाकात में करीब 1.5 घंटे तक चर्चा हुई। पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि राजस्थान कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष ने राहुल गांधी के समक्ष विस्तार से अपना पक्ष रखा। दूसरी तरफ, कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पायलट पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ संपर्क में बने हुए थे और उनके एवं दूसरे बागी विधायकों की वापसी के लिए फार्मूले पर काम चल रहा है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि पिछले कई दिनों से चली आ रही सियासी उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से पायलट की मुलाकात ‘सकारात्मक संकेत’ है और अब मामला सुलझने की संभावना प्रबल हो गई है। पार्टी सूत्रों ने यह भी कहा कि बागी विधायकों में से कुछ विधायक पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस नेतृत्व के संपर्क में बने हुए हैं। पायलट की कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात विधानसभा सत्र आरंभ होने से कुछ दिनों पहले हुई है और अब राजस्थान में कांग्रेस के भीतर पिछले कुछ हफ्तों से चली आ रही उठापठक थमने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि 14 अगस्त से राजस्थान विधानसभा का सत्र आरंभ होगा जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुमत साबित करने का प्रयास करेंगे। मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ खुलकर बगावत करने और विधायक दल की बैठकों में शामिल नहीं होने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री के पदों से हटा दिया था। बागी रुख अपनाने के साथ ही पायलट कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे।
पायलट और उनके साथी 18 अन्य विधायकों की बगावत के कारण गहलोत सरकार मुश्किल में आ गई है। गहलोत और कांग्रेस अपनी सरकार बचाने के लिए पिछले कई हफ्तों से जुटे हुए हैं। पहले विधायकों को जयपुर के होटल में रखा गया था। बाद में उन्हें जैसलमेर के एक होटल में भेज दिया गया। पिछले कई हफ्तों से चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच कांग्रेस ने बार-बार दोहराया है कि अशोक गहलोत सरकार के पास 100 से अधिक विधायकों का समर्थन है और उसके ऊपर कोई खतरा नहीं है।