सिक्किम CM प्रेम सिंह तमांग को चुनाव आयोग ने दी बड़ी राहत, चुनाव लड़ने का रास्ता साफ
चुनाव आयोग द्वारा सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की अयोग्यता अवधि करीब पांच साल घटाने के बाद कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा से निकटता होने के कारण उन्हें यह फायदा पहुंचाया गया है।
नई दिल्ली: चुनाव आयोग द्वारा सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की अयोग्यता अवधि करीब पांच साल घटाने के बाद कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा से निकटता होने के कारण उन्हें यह फायदा पहुंचाया गया है। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा भी किया जो भी सत्तारूढ़ पार्टी से निकट संबंध रखेगा और ‘तुस्सी ग्रेट हो’ का मंत्र दोहराएगा, उस पर कानून लागू नहीं होगा।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कानून से खिलवाड़ किया जा रहा है। यह संदेश है कि इस देश में अगर आपके सत्तारुढ़ पार्टी से निकट संबंध हैं और रोजाना ‘तुस्सी ग्रेट हो’ का मंत्र दोहराते हैं तो आप पर कानून लागू नहीं होगा। इस सरकार ने केंद्र और राज्यों के स्तर पर कानून की घोर गैरजिम्मेदारी दिखाई है।’’
सिंघवी ने तमांग से जुड़े मामले का पूरा घटनाक्रम पेश करते हुए सवाल किया, ‘‘क्या देश में एक भी उदाहरण है कि भ्रष्टाचार के मामले में दोषी साबित हुए किसी व्यक्ति के चुनावी प्रक्रिया से छह साल के निलंबन को घटाकर एक साल किया गया हो?’’ उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री तमांग भाजपा के करीबी हैं जिस कारण उन्हें फायदा मिला है। सिंघवी ने तंज कसते हुए कहा, ‘‘मैं लालू प्रसाद जी (चारा घोटाला में दोषी) को सलाह देता हूं कि वह ‘तुस्सी ग्रेट हो’ का जाप शुरू कर दें तो सब आरोप हट जाएगा। इन लोगों के पास ऐसी जादू की छड़ी है।’’
दरअसल, चुनाव आयोग ने निर्वाचन कानून के तहत तमांग की अयोग्यता अवधि रविवार को करीब पांच साल घटा दी जिससे उनका राज्य में होने वाले उपचुनाव में लड़ने का रास्ता साफ हो गया है। चुनाव आयोग ने तमांग को अयोग्य करार देते हुए 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। यह रोक 10 अगस्त 2018 को जेल की सजा पूरी होने के साथ शुरू हुई थी और यह 10 अगस्त 2024 तक प्रभावी रहती लेकिन चुनाव आयोग ने रविवार को इसे घटा कर एक साल एक महीने कर दिया। इस फैसले के साथ ही 10 सितंबर को उनकी अयोग्यता अवधि समाप्त हो गई और अब वह चुनाव लड़ सकते हैं।
तमांग की सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी ने अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी और 27 मई को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन अयोग्यता के कारण चुनाव नहीं लड़ सके। इस पद पर बने रहने के लिए शपथ ग्रहण के छह महीने के भीतर विधानसभा सदस्य बनना आवश्यक है।