पकड़ी गई केजरीवाल सरकार की चोरी, 12वीं पास को दी डेढ़ लाख की सैलरी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आज चोरी पकड़ी गई। शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट आई। जांच में पाया गया कि केजरीवाल ने मनमाने ढ़ंग से नियुक्तियां की, फ्लैट बांटे, मंत्री के रिश्तेदारों को मोटी सैलरी पर रखा और जनता के पैसे से विदेश यात्राएं कीं। मतल
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आज चोरी पकड़ी गई। शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट आई। जांच में पाया गया कि केजरीवाल ने मनमाने ढ़ंग से नियुक्तियां की, फ्लैट बांटे, मंत्री के रिश्तेदारों को मोटी सैलरी पर रखा और जनता के पैसे से विदेश यात्राएं कीं। मतलब वो सब किया जिसके लिए केजरीवाल दूसरों को कोसते थे। पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक वीके शुंगलू ने केजरीवाल सरकार की 404 फाइलों की जांच की और हर जगह गड़बड़ी मिली। सबसे बड़ी बात ये कि मामला पकड़ा न जाएं, जनता को पता न चले इसलिए फैसले चोरी छिपे किए गए। फाइलों को लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास नहीं भेजा गया।
(देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें)
जिन मामलों में केजरीवाल को फैसला लेने का अख्तियार ही नहीं था उन मामलों में भी LG को बताए बगैर चुपके से फैसला कर लिया। शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि फाइलों को देखकर लगता है कि सरकार को नियम कानून की परवाह नहीं है। केजरीवाल जो मन में आता है वो फैसला करते हैं।
केजरीवाल को लेकर शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में क्या कुछ कहा गया है-
दिल्ली की केजरीवाल सरकार के 404 फैसलों वाली फाइल पर 101 पन्ने की शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के करीबन हर फैसले पर सवाल उठे है। फैसला लेने के दौरान केजरीवाल पर प्रॉपर अथॉरिटी को बाइपास करने की बात कई बार लिखी गई है।
- रिपोर्ट में लिखा है कि फरवरी और मई 2015 के बीच केजरीवाल सरकार ने बिना एलजी को बताए कई ऐसे फैसले किए जो उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर थे। रिपोर्ट कहती है-केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर मामला हाईकोर्ट पहुंचने के बाद भी केजरीवाल सरकार ने ऐसे फैसले जारी रखे।
- शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में लिखा है सत्ता में दोबारा आने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली सरकार के लिए तय किए गए नियमों और कायदों को लेकर एक अलग रुख अख्तियार किया। रिपोर्ट में ऐसे कई फैसलों का जिक्र है जिसमें केजरीवाल ने एलजी को बाइपास करके हुए दिल्ली सरकार के अफसरों को काम करने का निर्देश दिया था।
- रिपोर्ट में साफ लिखा है कि एलजी ऑफिस के जरिए केजरीवाल को आर्टिकल 239AA, और ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स की स्पष्ट व्याख्या बताई गई थी लेकिन केजरीवाल ने इसको दरकिनार कर दिया...इसपर अमल नहीं किया।
- रिपोर्ट में कहा गया जिस तरह सेकेट्री(सर्विस) अनिंदो मजूमदार को उनके पद से हटाया गया वो सही नहीं था। राजेंद्र कुमार को एडिशनल चार्ज दिया जाना भी दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं था। रिपोर्ट में कहा गया है कि मनमाने तरीके से अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग हुई। रिपोर्ट के मुताबिक केजरीवाल सरकार ने जो निर्देश दिए उनके लिए लीगल डिपार्टमेंट से सुझाव तक नहीं लिया गया। इन फैसलों के बारे में लीगल डिपार्टमेंट से पूछा तक नहीं गया उल्टा असिस्टेंट लीगल एडवाइजर मनीष गौर को सिर्फ इसलिए हटा दिया क्योंकि उन्होंने सर्किल रेट को रिवाइज करने वाली फाइल एलजी के पास अप्रूवल के लिए भेजने की बात कही थी।
करीबियों को बांटे मलाईदार पोस्ट
केजरीवाल ने चुनाव से पहले राजनीति में भाई भतीजेवाद के खिलाफ कैंपेन किया। जनता से वादा किया कि सरकारी नौकरियों में या सरकारी कामों में किसी तरह का भेदभाव नहीं होगा लेकिन सरकार बनने के बाद भूल गए। शुंगलू कमेटी ने जांच में पाया कि केजरीवाल के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन की बेटी सौम्या जैन को दिल्ली हैल्थ मिशन का डायरेक्टर बना दिया गया जबकि सौम्या जैन पेशे से आर्किटैक्ट हैं बाद में मामला खुल गया तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
- बिना नियमों का पालन किए स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन की बेटी सौम्या जैन की नियुक्ति
- दिल्ली स्टेट हेल्थ मिशन का मिशन डायरेक्टर नियुक्त किया
- पेशे से आर्किटेक्ट, मोहल्ला क्लीनिक के लिए स्पेशलिस्ट का दावा
- नियमों के मुताबिक नहीं हुई सौम्या जैन की नियुक्ति
- नियुक्ति को मंजूरी देने का सबूत फाइल में मौजूद नहीं
- सौम्या की नियुक्ति के लिए किसी की मंजूरी नहीं ली गई
- 18 अप्रैल - 14 जुलाई 2016 तक 1.15 लाख का खर्च
- इस्तीफे से चौदह दिन पहले पैसा वापस कर दिया
सत्येन्द्र जैन आज भी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री हैं पहले उन्होंने अपनी ही मिनिस्ट्री में अपनी बेटी के एप्वाइंटमेंट को जस्टीफाई करने की कोशिश की थी लेकिन जब नहीं कर पाए तो इस्तीफा दिलवा दिया। अब शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में नाम आया तो उस वक्त के LG नजीब जंग पर दोष मढ़ रहे हैं।