भोपाल: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को विपक्ष में रहने का जनादेश मिलने के बाद नेता प्रतिपक्ष चुने जाने की कवायद तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कर दिया है कि वे इस दौड़ में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के लिए मेरा नाम नहीं चल रहा है। मुझे पद की जरूरत नहीं है। मैं ऐसे ही नेता रहूंगा। नेता प्रतिपक्ष का चयन 6 जनवरी को होगा। राजधानी में अपने आवास पर शुक्रवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए चौहान ने कहा कि वे प्रदेश के 13 साल मुख्यमंत्री रहे हैं, वे नेता प्रतिपक्ष नहीं बनेंगे, कोई और विधायक नेता प्रतिपक्ष बनेगा। नेता प्रतिपक्ष का चयन रविवार को कर लिया जाएगा।
राज्य में डेढ़ दशक तक सत्ता में रहने के बाद भाजपा विपक्ष में है। नेता प्रतिपक्ष कौन होगा, इसको लेकर पार्टी में भोपाल से लेकर दिल्ली तक मंथन का दौर जारी है। राज्य में 11 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं, कांग्रेस के मुख्यमंत्री के तौर पर 17 दिसंबर को कमलनाथ ने शपथ ली। मंत्रिमंडल और विभागों में बंटवारे को लेकर हुई देरी पर भाजपा ने कई बार तंज कसा था, अब भाजपा को नेता प्रतिपक्ष चुनने में देरी हो रही है।
चौहान ने कार्यकर्ताओं से कहा, "राज्य में लंगड़ी सरकार है, जिसके पास बहुमत नहीं है। भाजपा को वोट ज्यादा मिले हैं, मगर विधानसभा चुनाव में पांच सीटें कम मिली हैं, हम भी लंगड़ी सरकार बना सकते थे, मगर हमने ऐसा नहीं किया, भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी।"
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