मुंबई: नेपाल सशस्त्र पुलिस बल की तरफ से देश की सीमा पर हाल में की गई गोलीबारी पर बरसते हुये शिवसेना ने कहा कि नेपाली बंदूकों की नलियां तत्काल तोड़ दी जानी चाहिए नहीं तो ऐसे मामले हमेशा के लिए पाकिस्तान की तरह सिरदर्दी बन जायेंगे। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा गया कि चीन भले ही लद्दाख में अभी चुपचाप बैठा है लेकिन वह यह सुनिश्चित करने के लिए खेल खेल रहा है कि भारतीय सीमाओं पर शांति न बनी रहे और वह नेपाल तथा पाकिस्तान से वहां गोलीबारी करा रहा है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को करारा जवाब देने के लिए भारतीय सैनिकों की तारीफ करते हुए शिवसेना ने यह जानना चाहा कि देश के शासक पाकिस्तान की ओर से किए जाने वाले संघर्षविराम उल्लंघनों और सीमा पार से हो रही गोलीबारी को रोक पाने में कब सफल होंगे।
पुलिस के मुताबिक बिहार के किशनगंज जिले में शनिवार को भारत-नेपाल सीमा पर ‘नो मेन्स लैंड’ पर नेपाल सशस्त्र पुलिस बल (एनएपीएफ) की तरफ से की गई गोलीबारी में एक भारतीय नागरिक घायल हो गया था। वहीं, 12 जून को बिहार के सीतामढ़ी जिले में लालबंदी जानकी नगर गांव के पास भारत-नेपाल सीमा पर एनएपीएफ की गोलीबारी में एक भारतीय नागरिक की मौत हो गई थी और दो अन्य घायल हो गए थे।
शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान ने इस साल अब तक 2,700 से अधिक बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया है। उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा कि इन घटनाओं में 21 बेकसूर भारतीय नागरिक मारे गए जबकि 94 अन्य घायल हो गए। पार्टी ने कहा कि अब, इसमें नेपाल की ओर से होने वाली गोलीबारी भी जुड़ गई है। इसका मतलब है कि, पहले बस पाकिस्तान सीमा पार से गोलीबारी कर रहा था। अब नेपाली बंदूकें भी बेकसूर भारतीयों की जान ले रही हैं।
मराठी दैनिक ने कहा, ‘‘हम पाकिस्तानी बंदूकों को रोक पाने में कामयाब नहीं रहे हैं लेकिन यही बात नेपाल के साथ भी नहीं होनी चाहिए। नेपाली बंदूकों की नलियां अभी ही तोड़ दी जानी चाहिए। नहीं तो, नेपाल के साथ लगने वाली सीमा पर गोलीबारी भी हमेशा के लिए सिरदर्दी बन जाएगी जैसा कि पाकिस्तान के साथ है।”
एनएपीएफ की संलिप्तता वाली इन दो घटनाओं का संदर्भ देते हुए शिवसेना ने कहा कि नेपाल ने दिखा दिया है कि वह भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान का साथ देगा। संपादकीय में कहा गया, “चीन फिलहाल लद्दाख में चुप है लेकिन वह नेपाल और पाकिस्तान से गोलीबारी करा कर सुनिश्चित कर रहा है कि भारतीय सीमाएं शांतिपूर्ण न रहें।”
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