गाजियाबाद: दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल पर पॉलिटिकल टूरिज्म लगातार जारी है। आज शिवसेना नेता संजय राउत यहां पहुंचे और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत से मुलाकात की। दोनों की मुलाकात बेहद गर्मजोशी से हुई। संजय राउत के साथ शिवसेना के पांच और नेता भी थे। संजय राउत अपने साथ उद्धव ठाकरे का खास संदेश लेकर आए थे। बता दें कि शिवसेना ने किसान कानूनों का लोकसभा में समर्थन किया था लेकिन आज पॉलिटिकल माइलेज लेने और एंटी मोदी मोर्चे की मजबूरी के चलते किसान आंदोलन का समर्थन कर रही है। किसानों के विरोध स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
राउत दोपहर में करीब एक बजे यहां पहुंचे और मंच के पास टिकैत तथा अन्य प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की। उस समय राउत सहित कुछ लोगों ने ही मास्क पहन रखे थे। राउत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘26 जनवरी के बाद जिस तरह से यहां तोड़फोड़ हुयी और टिकैत तथा आंदोलन के दमन की कोशिश की गई, हमने महसूस किया कि किसानों के साथ खड़े रहना और पूरे महाराष्ट्र, शिवसेना तथा उद्धव ठाकरे साहब की ओर से समर्थन करना हमारी जिम्मेदारी है।"
टिकैत ने कहा कि किसानों का विरोध राजनीतिक नहीं है और किसी राजनीतिक दल के नेता को मंच पर स्थान या माइक नहीं दिया गया है। वर्ष 2019 तक बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की प्रमुख सहयोगी शिवसेना उन 19 विपक्षी दलों में से एक है जिसने 29 जनवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया और किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया है। इससे पहले शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल, समाजवादी पार्टी सहित अन्य दलों के नेताओं ने गाजीपुर का दौरा किया था।
बीकेयू के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी किसान दो महीने से अधिक समय से यहां डटे हुए हैं। प्रदर्शनकारी किसान नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। शुरू में किसान संगठनों ने कहा था कि उनका आंदोलन राजनीतिक नहीं है लेकिन हाल ही में उन्होंने खुले मन से नेताओं का स्वागत किया है। राकेश टिकैत ने 31 जनवरी को कहा था कि संयुक्त किसान मोर्चा ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में राजनीतिक दलों को अनुमति नहीं दी थी, लेकिन विरोध स्थलों पर लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाने के बाद ही राजनीतिक दलों से समर्थन लिया।
इस बीच यूपी गेट (गाजीपुर सीमा) पर मंगलवार को लोहे और कंक्रीट ढांचे से बैरीकेड लगा दिए गए और बाड़बंदी कर दी गयी। इसके अलावा सड़कों पर कीलें लगा दी गयी ताकि कोई प्रदर्शनकारी दिल्ली की ओर नहीं बढ़ सके। विरोध स्थल पर इंटरनेट सेवा भी निलंबित कर दी गयी है।
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