मुम्बई: 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को अगर बहुमत नहीं मिलता है और अन्य दल नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन नहीं करते हैं तो आरएसएस पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर सकता है। यह बात आज शिवसेना के नेता संजय राउत ने कही। बहरहाल मुखर्जी की बेटी ने उनके कयासों को खारिज करते हुए कहा कि उनके पिता की सक्रिय राजनीति में लौटने की कोई योजना नहीं है।
शिवसेना नेता ने कहा कि सात जून को अपने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मुखर्जी को निमंत्रित करने का आरएसएस का एजेंडा 2019 के आम चुनावों के बाद स्पष्ट होगा।
राउत ने कहा, ‘‘ देश की स्थिति ऐसी है कि 2019 के चुनावों में भाजपा को बहुमत नहीं मिलेगा। अगर खंडित जनादेश आता है और दूसरे दल मोदी का समर्थन नहीं करते हैं तो मुखर्जी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जाएगा जो सभी को स्वीकार्य होगा।’’
इस बीच शिवसेना नेता के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए पूर्व राष्ट्रपति की बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘श्रीमान् राउत मेरे पिता राष्ट्रपति पद पर कार्यकाल पूरा करने के बाद सक्रिय राजनीति में फिर नहीं आने वाले हैं।’’
राउत ने कहा कि आरएसएस मुख्यालय से मुखर्जी के भाषण में उम्मीद की जा रही थी कि वह देश के गंभीर मुद्दों पर बोलेंगे क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति अर्थशास्त्री भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘प्रणब मुखर्जी ने देश के गंभीर मुद्दों पर बात नहीं की। उन्होंने न्यायपालिका में अशांति के बारे में भी कुछ नहीं कहा। महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों पर सरकार निष्प्रभावी हो गई है। उन्होंने इन मुद्दों का जिक्र नहीं किया। अर्थशास्त्री के तौर पर उनसे इन मुद्दों पर बोलने की उम्मीद की जा रही थी।’’
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