नई दिल्ली: राज्यसभा की सदस्यता से मायावती के इस्तीफा देने की पेशकश पर चुटकी लेते हुए केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने आज कहा कि बसपा अध्यक्ष द्वारा दलित उत्पीड़न को लेकर राज्यसभा से इस्तीफा देने की पेशकश अंगुलि कटाकर शहीद बनने का नाटक है।
पासवान ने आज अपने ट्वीट में कहा कि उत्तरप्रदेश के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में दलितों ने मायावती को खारिज कर दिया है और विकल्प में दलित नेता पैदा हो रहे हैं तो मायावती घबरा गई हैं। ऐसे में उनका राज्यसभा से इस्तीफा देने की पेशकश करना अंगुलि कटाकर शहीद बनने का नाटक है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मायावती के उत्तर प्रदेश में सत्ता में रहते हुए दलितों पर अत्याचार के अनेकों मामले सामने आए थे और वह चुप रहीं। लोजपा नेता ने सवाल किया कि 1996 में मेरठ के हस्तिनापुर के पाली गांव मे 6 दलितों की हत्या कर दी गई थी, उस समय मायावती साा मे थीं तब उन्होंने क्यों नहीं इस्तीफा दिया।
पासवान ने कहा कि जब बसपा और समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्ता मे थीं उस समय सबसे ज्यादा दलितों पर जुल्म और अत्याचार हुए थे। उन्होंने कहा कि लोजपा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी आग्रह करती है कि दलितों की हत्या और उन पर हो रहे उत्पीड़न को गंभीरता से लें और दोषी व्यक्तियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें। इसके लिए संबंधित जिले के डीएम और एसपी को जवाबदेह बनाएं जिससे इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो।
बसपा प्रमुख पर निशाना साधते हुए उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि मायावती को यह बताना चाहिए कि नोटबंदी के दौरान एक हफ्ते के अंदर जो 104 करोड़ रुपए बैंक में जमा कराए थे वो पैसा कहां से आया।
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