नई दिल्ली: राज्यसभा के उपसभापति पी.जे.कुरियन ने बुधवार को बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती से अपने कदम पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। कुरियन ने मायावती को मंगलवार को निर्धारित तीन मिनट से अधिक बोलने पर रोका था, जिसके प्रतिक्रियास्वरूप उन्होंने सदन से इस्तीफा देने का फैसला किया था। कुरियन ने कहा कि यह उनका अनुरोध ही नहीं, बल्कि 'पूरे सदन की भावना' है। उस वक्त हालांकि मायावती सदन में उपस्थित नहीं थीं, इसलिए कुरियन ने बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा से उनका संदेश पार्टी अध्यक्ष तक पहुंचाने को कहा।
मायावती ने मंगलवार को यह कहते हुए राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफे के लिए तीन पन्नों का पत्र सभापति हामिद अंसारी को सौंप दिया था कि उन्हें सदन में महत्वपूर्ण मुद्दे पर बोलने की मंजूरी नहीं दी गई। उन्होंने नियम 267 के तहत बोलने का समय मांगा था, लेकिन कुरियन ने शून्य काल के नियम के तहत बोलने के लिए उन्हें तीन मिनट का वक्त दिया था। इससे मायावती गुस्सा हो गईं और उन्होंने तत्काल इस्तीफे का ऐलान कर दिया।
कुरियन ने बुधवार को मिश्रा से कहा कि उनका इरादा मायावती को सदन में बोलने से रोकने का नहीं था, बल्कि उन्होंने चर्चा के लिए 267 के तहत नोटिस नहीं दिया था। उन्होंने कहा, "यह केवल प्रक्रियागत मुद्दा है। हमारे अंदर मायावती जी के लिए असीम आदर है..मैं उनसे कहता हूं और मेरा मानना है कि यह पूरे सदन का विचार है कि वह अपने कदम (इस्तीफे का) पर पुनर्विचार करें।"
इसके बाद, नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद अपनी सीट पर खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि विपक्ष उनसे अनुरोध करता है कि वह इस्तीफा वापस ले लें।कुरियन ने सत्ता पक्ष की तरफ भी इशारा किया तो संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी स्वीकृति दे दी। कुरियन ने कहा, "यह सदन का निर्णय है कि उनसे (सतीश चंद्र) मिश्राजी के माध्यम से कहा जाए कि वह अपना इस्तीफा वापस ले लें।"
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