नयी दिल्ली: विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक बुधवार को शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली में हिंसा और दो मलयालम चैनलों पर प्रतिबंध लगाए जाने सहित विभिन्न मुद्दे उठाने का प्रयास किया। कुछ सदस्यों ने मध्य प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम को भी उठाने का प्रयास किया। उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसी क्रम में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने अनुपूरक अनुदान मांगें, 2019-20 से जुड़ा एक दस्तावेज सदन के पटल पर रखा।
इसी दौरान विपक्ष के कुछ सदस्यों ने उनकी एक कथित टिप्पणी को लेकर शोर शुरू कर दिया। नायडू ने इस पर आपत्ति जतायी और कहा कि ऐसा कब तक चलेगा। शोर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करना पीड़ादायक है। इसके बाद भी कांग्रेस के कुछ सदस्य बोलते रहे। नायडू ने इस पर आपत्ति जताते हुए उन सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी।
सभापति ने सदन में घोषणा की कि उन्हें सपा सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा से एक पत्र मिला है जिसमें उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य के कारण राज्यसभा के मौजूदा सत्र की कार्यवाही में भाग लेने में असमर्थता जतायी है। इसके बाद नायडू ने कहा कि दिल्ली में दंगों से प्रभावित लोगों को राहत मुहैया कराने की आवश्यकता तथा जांच आयोग के गठन के संबंध में नेता प्रतिपक्ष और अन्य सदस्यों के नोटिसों पर सदन में गुरुवार सुबह चर्चा होगी।
नायडू ने कहा कि इस विषय पर आज लोकसभा में चर्चा होनी है। इसके बाद उन्होंने सदन में शून्य काल शुरू करने को कहा। इसी दौरान वाम सदस्यों सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने अलग अलग मुद्दे उठाने का प्रयास किया। लेकिन सभापति ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। सदन में हंगामे को देखते हुए उन्होंने 11 बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
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