कुछ महीनों बाद रात के बारह बजे उन्होंने गृह सचिव आर डी प्रधान को फ़ोन मिलाया जो उस समय प्रधान गहरी नींद सो रहे थे। उनकी पत्नी ने फ़ोन उठाया। राजीव बोले,’ क्या प्रधान जी सो रहें हैं। मैं राजीव गांधी बोल रहा हूँ।’ उनकी पत्नी ने तुरंत उन्हें जगा दिया।
राजीव ने पूछा, "आप मेरे निवास से कितनी दूर रहते हैं?" प्रधान ने बताया कि वह पंडारा रोड पर हैं। राजीव बोले, "मैं आपको अपनी कार भेज रहा हूँ आप जितनी जल्दी हो, यहाँ आ जाइए।"
उस समय राजीव के पास पंजाब के राज्यपाल सिद्धार्थ शंकर राय कुछ प्रस्तावों के साथ आए हुए थे। चूंकि राय उसी रात वापस चंडीगढ़ जाना चाहते थे, इसलिए राजीव ने गृह सचिव को इतनी रात गए तलब किया था।
रात दो बजे जब सब बाहर आए तो राजीव ने आरडी प्रधान से कहा कि वह उनकी कार में बैंठें। प्रधान समझे कि प्रधानमंत्री उन्हें गेट तक ड्रॉप करना चाहते हैं।
लेकिन राजीव ने गेट से बाहर कार निकाल कर अचानक बाईं तरफ टर्न लिया और प्रधान से पूछा, "मैं आपसे पूछना भूल गया कि पंडारा रोड किस तरफ है।"
अब तक प्रधान समझ चुके थे कि राजीव क्या करना चाहते हैं। उन्होंने राजीव का स्टेयरिंग पकड़ लिया और कहा, "सर अगर आप वापस नहीं मुड़ेंगे तो मैं चलती कार से कूद जाऊंगा।"
प्रधान ने उन्हें याद दिलाया कि उन्होंने उनसे वादा किया था कि वह इस तरह के जोखिम नहीं उठाएंगे। बड़ी मुश्किल से राजीव गांधी ने कार रोकी और जब तक गृह सचिव दूसरी कार में नहीं बैठ गए वहीं खड़े रहे।
(भारत के पूर्व गृह सचिव और अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे आर डी प्रधान और बीबीसी से बातचीत पर आधारित)
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