नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज पुण्यतिथि है। लिट्टे के आत्मघाती हमलावरों ने 21 मई 1991 को रात 10 बजे उनकी जान ले ली थी। राजीव गांधी स्वभाव से बेहद सरल और सीधे थे।
प्रधानमंत्री होते हुए भी राजीव गांधी को यह कतई पसंद नहीं था कि जहां वे जाएं, उनके पीछे-पीछे उनके सुरक्षाकर्मी भी पहुंचें। ऐसे हीं कुछ वाक़यात पर हम आज नजर डालते है जब उन्होंने सुरक्षाकर्मी से पीछा छुड़ाने के लिये कुछ ऐसा कर गये जो आप सोंच भी नहीं सकते।
1 जुलाई, 1985 को अचानक खबर आई कि वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ़ मार्शल लक्ष्मण माधव काटरे का निधन हो गया है। दोपहर बाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी उनके निवास स्थान पर पहुंचे और श्रीमती काटरे के साथ करीब पंद्रह मिनट बिताए।
प्रधानमंत्री के साथ उनका पूरा मोटरकेड था। सोनिया के सुरक्षाकर्मी भी उसी मोटरकेड में साथ साथ चल रहे थे।
जब राजीव बाहर आए तो उन्होंने एक अधिकारी को बुला कर हिदायत दी कि वे सुनिश्चित करें कि यह कारें उनकी कार के पीछे न आएं। लेकिन जब वह सोनिया के साथ अपनी जीप में बैठे तो उन्होंने देखा कि सभी कारे उनके पीछे पीछे चल रही हैं।
राजीव ने अचानक अपनी जीप को रोका। मूसलाधार बारिश में बाहर निकले। अपने ठीक पीछे आ रही एस्कॉर्ट कार का दरवाज़ा खोला और उसकी चाबी निकाल ली। इसके बाद उन्होंने पीछे चल रही दो और कारों की चाबी निकाली।
जैसे ही कारों का काफ़िला रुका पीछे आ रहे दिल्ली पुलिस के उप आयुक्त यह जानने के लिए अपनी कार आगे ले आए कि माजरा क्या है तब राजीव ने बिना कुछ कहे उसकी कार की भी चाबी निकाल ली।
मज़ेदार चीज़ तब हुई जब राजीव गांधी ने सभी चाबियां पानी से भरे नाले में फेंक दीं और सोनिया के साथ अकेले आगे बढ़ गए।
पंद्रह मिनट बाद उनकी जान में जान आई जब उन्हें पता चला कि राजीव सकुशल सात रेसकोर्स रोड पर पहुंच गए हैं।
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