जयपुर: राज्य सरकार के दो मंत्रियों बीच सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण को लेकर हुई तीखी बहस के कुछ दिनों बाद चिकित्सा मंत्री के बयान ने सरकार को परेशानी में डाल दिया है। हाल ही में प्रदेश के चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें सराफ को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जिनकी पहुंच होती है, उन्हें स्थानांतरण में तरजीह दी जाती है, और जिनकी पहुंच नहीं होती, उन्हें स्थानांतरण सूची से हटा दिया जाता है।
भरतपुर में एक जन सुनवाई के दौरान एक कर्मचारी के स्थानांतरण की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सराफ ने कहा था कि स्थानांतरण की अंतिम सूची तैयार करते समय जो कमजोर कड़ी होती हैं और जिनके पास पहुंच नहीं होती, उन्हें सूची से हटा दिया जाता है। विवादित बयान पर प्रतिक्रिया के लिए चिकित्सा मंत्री उपलब्ध नहीं हुए।
सराफ के बयान पर विपक्षी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने भाजपा पर स्थानांतरण में संस्थागत भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। पायलट ने कहा कि चिकित्सा मंत्री ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि भाजपा के राज में तबादला उद्योग पनप रहा है और जिन कर्मचारियों की पहुंच व संसाधन नहीं हैं, उनको हटाकर भाजपा नेताओं की अनुशंसा पर उनके रिश्तेदारों व परिचितों को लाभान्वित किया जा रहा है।
कुछ दिन पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और स्वास्थ्य राज्य मंत्री बंशीधर बाजिया के बीच अध्यापकों के स्थानांतरण के मुद्दे पर तीखी बहस हो गई थी।
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