कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में रोज श्रमिक विशेष ट्रेन भेजने की रेलवे की कथित “सनक” भरी कार्यप्रणाली को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि ऐसे वक्त में राजनीति न करे जब राज्य कोरोना वायरस महामारी और अम्फान चक्रवात से हुई तबाही की दोहरी चोट से उबरने की कोशिश में लगा है। उन्होंने कहा कि राज्य का अधारभूत ढांचा अम्फान चक्रवात के बाद अपनी अधिकतम सीमा में काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि फिलहाल पश्चिम बंगाल इस स्थिति में वहां दैनिक आधार पर प्रवासियों को लेकर काफी कम ट्रेनें पहुंचे। बनर्जी ने कहा कि रेलवे द्वारा काफी संख्या में प्रवासी मजदूरों को प्रदेश में लाने को राज्य जन स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरे के तौर पर देखता है। उन्होने कहा कि दबाव “आदर्श व अच्छी तरह से प्रबंधित” होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “प्रदेश सरकार कोविड-19 महामारी और चक्रवात से हुई तबाही की दोहरी मार झेल रही है। हमारा आधारभूत ढांचा अधिकतम सीमा पर काम कर रहा है। रेलवे अपनी सनक और पसंद के हिसाब से राज्य में रोज श्रमिक विशेष ट्रेनें भेज रहा है, वह भी हमें जानकारी दिये बिना।” प्रदेश में आज शाम पहुंचने वाली 11 श्रमिक विशेष ट्रेनों के आगमन से पहले मुख्यमंत्री ने कहा, “हम इन प्रवासी मजदूरों को संस्थागत पृथक-वास के लिये कहां रखेंगे? यह राजनीति का समय नहीं है। हम बेहद मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं और हमें इससे निपटने के लिये समय और जगह चाहिए।”
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने कहा, “वे (भाजपा) मुझे राजनीतिक रूप से परेशान कर सकते हैं, लेकिन वे राज्य को नुकसान क्यों पहुंचा रहे हैं? पश्चिम बंगाल इतनी बड़ी मुसीबत का सामना कर रहा है। इससे कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी होगी। इसके बाद जिम्मेदारी कौन लेगा?” बनर्जी ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से इस मामले को देखने का अनुरोध करती हैं। प्रधानमंत्री को दखल देना चाहिए।”
तृणमूल कांग्रेस सरकार ने रेल मंत्रालय से अम्फान चक्रवात से हुई तबाही के मद्देनजर राज्य में 26 मई तक श्रमिक विशेष ट्रेन नहीं भेजने का अनुरोध किया था। बनर्जी ने कहा कि महाराष्ट्र,दिल्ली,गुजरात, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु जैसे कोरोना वायरस हॉटस्पॉट राज्यों से आने वालों को 14 दिन के संस्थागत पृथकवास में रहना होगा।
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