नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां गुरुवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और उसके मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर संविधान बदलने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए सभी विपक्षी दलों से इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ने को कहा। राहुल विपक्षी दलों को एकजुट करने के मकसद से जेडीयू के बागी नेता शरद यादव द्वारा आहूत 'साझा संस्कृति बचाओ' सम्मेलन में शामिल हुए।
राहुल ने कहा कि आरएसएस सत्ता में आने के बाद तिरंगे को सलाम करने लगा है। यानी जब तक वह सत्ता में नहीं था, तब तक उसका तिरंगा नहीं था, उसका देश नहीं था। ये लोग प्रत्येक संस्थान, नौकरशाही, मीडिया और विश्वविद्यालयों में अपने लोगों को बिठा रहे हैं। जब ये हर जगह अपने लोगों को सेट कर लेंगे, तब कहेंगे कि ये देश हमारा है।
उन्होंने कहा, "यदि हमें उनसे लड़ना है तो हमें एकजुट होकर लड़ना होगा।" राहुल ने कहा कि कांग्रेसियों को विश्वास है कि वे देश से जुड़े हुए हैं और कुछ करना चाहते हैं, जबकि भाजपा और आरएसएस का कहना है कि यह देश सिर्फ उन्हीं का है।
राहुल ने कहा कि आरएसएस के एक प्रमुख नेता ने आजादी के आंदोलन के दौरान ब्रिटिशों को जेल से अपनी रिहाई के बदले माफी मांगने का पत्र लिखा था। उन्होंने कहा, "वे अपनी आजादी के लिए गुहार लगा रहे थे। आरएसएस को छोड़कर कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी के किसी भी नेता ने ब्रिटिशों से गुहार नहीं लगाई।"
राहुल ने भाजपा और आरएसएस पर पीछे से हमला करने का आरोप लगाया। राहुल ने गुजरात में अपने काफिले पर पथराव करने की घटना का उल्लेख करते हुए कहा, "जब मेरे काफिले पर पथराव किया गया और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा काले झंडे दिखाए गए। मैं उनसे बात करने के लिए वहां रुक गया, लेकिन जैसे ही मैं अपने वाहन से बाहर निकला और उनकी ओर गया। वे भाग गए।"
राहुल ने कहा कि भाजपा ने हर साल दो करोड़ रोजगारों का सृजन करने और हर शख्स को 15 लाख रुपये देने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने पर वे अपना वादा पूरा नहीं कर पाए।
इस सम्मेलन में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी. राजा, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला भी शामिल हुए।
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