मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर मुखर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी जीडीपी के आंकड़ों के बाद और हमलावर हो गए हैं। राहुल गांधी ने गुरुवार को अपने 4 वीडियो की सीरीज का दूसरा वीडिया जारी किया। इसमें जीडीपी के मौजूदा आंकड़ों को नोटबंदी से जोड़ा है। राहुल ने कहा कि मोदी जी का ‘कैश-मुक्त’ भारत दरअसल ‘मज़दूर-किसान-छोटा व्यापारी’ मुक्त भारत है। मोदी सरकार द्वारा जो पांसा 8 नवंबर 2016 को फेंका गया था, उसका एक भयानक नतीजा 31 अगस्त 2020 को सामने आया। बता दें कि 31 जुलाई को 2020 की पहली तिमाही में जीडीपी में 23 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई है।
राहुल ने इस वीडियो में GDP में गिरावट के अलावा नोटबंदी ने देश की असंगठित अर्थव्यवस्था को कैसे तोड़ा, इस पर विचार दिए। राहुल ने कहा, नोटबंदी देश के असंगठित मजदूरों और किसानों पर हमला थी। 8 दिसंबर को प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का जो फैसला लिया था वह करोड़ों मजदूरों पर एक आक्रमण था। अगले दिन से ही पूरा हिंदुस्तान बैंकों के आगे लाइन लगा कर खड़ा हो गया। इसका असली फायदा अरबपतियों को मिला।
यहां सवाल उठाता है कि क्या काला धन मिला? दूसरा सवाल देश की गरीब जनता को नोटबंदी से क्या फायदा हुआ? जवाब, कुछ भी नहीं। राहुल ने आरोप लगाया कि 2016 से 18 के बीच 50 लाख लोगों की नौकरी गई। तो फिर इसका फायदा किसे मिला। इससे उद्योगपतियों का 68000 करोड़ रुपए का कर्ज उतारा गया। राहुल ने कहा इस फैसले का दूसरा लक्ष्य जमीन साफ करना था। असंगठित क्षेत्र जो नकदी पर चलता है, उसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया।
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