नई दिल्ली. पार्टी के भीतर लंबे समय से नए पार्टी प्रमुख की मांग के बीच, कांग्रेस ने मंगलवार को संकेत दिया कि राहुल गांधी निकट भविष्य में अध्यक्ष पद संभालने के लिए मना नहीं करेंगे। राजस्थान में पनपे सियासी संकट का हाल ही में समाधान किया गया है, जिसका श्रेय राहुल गांधी को ही दिया जा रहा है। एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 2019 के चुनाव के बाद राहुल ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था।
नए अध्यक्ष के चुनाव की संभावना के सवाल पर सुरजेवाला ने कहा कि भविष्य में क्या होगा, इसके बारे में वे कुछ नहीं कह सकते। मगर साथ ही उन्होंने कुछ अच्छा होने का इशारा दिया कि राहुल को पार्टी अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण करने में कोई हिचक नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि केवल गांधी होने के नाते नहीं, बल्कि मोदी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ लड़ने वाले सबसे मुखर नेता के तौर पर सभी कांग्रेसी राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष पद पर देखना चाहते हैं।
जुलाई में लोकसभा और राज्यसभा सांसदों द्वारा पार्टी प्रमुख के मुद्दे को उठाए जाने के बाद राहुल गांधी की जोरदार वापसी की मांग उठने लगी है, क्योंकि अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी ने एक साल पूरा कर लिया है। राजस्थान की उथल-पुथल के समाधान के लिए भी कांग्रेस ने राहुल को पूरा श्रेय दिया है। सुरजेवाला ने कहा, राहुल गांधी की ²ष्टि और विश्वास के कारण यह संभव हो सका, जिसमें प्रियंका गांधी का भी सहयोग रहा।
राजस्थान की राजनीति में महीने भर की उथल-पुथल सोमवार को समाप्त हो गई, जब सचिन पायलट राहुल से मिले और बाद में कांग्रेस ने आश्वासन दिया कि वह पायलट की शिकायतों पर संज्ञान लेने के लिए एक पैनल का गठन करेगी। पार्टी महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने कहा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फैसला किया है कि एआईसीसी सचिन पायलट और नाराज विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन करेगी।
बाद में प्रियंका गांधी और अहमद पटेल सहित तीन वरिष्ठ नेताओं ने सचिन पायलट के साथ बागी विधायकों के समूह से मुलाकात की, जिन्होंने सोनिया गांधी को उनके मुद्दों पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद दिया। बैठक के बाद पायलट ने कहा, मैं चाहता था कि हमारा स्वाभिमान बरकरार रहे। मैंने पार्टी को 20 साल दिए हैं। हमने हमेशा उन लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास किया है, जिन्होंने सरकार बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है।
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