रिलायंस को पार्टनर चुनने में सरकार की कोई भूमिका नहीं, बेवजह उपजा है विवाद: रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर राफेल डील मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट की है।
नई दिल्ली: फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के राफेल डील को लेकर दिए गए ताजा बयान के बाद से विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है। इस बीच रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर राफेल डील मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट की है। अपने बयान में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान के बाद उपजा विवाद बेवजह का है। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि फ्रांस के बयान को पूरी तरह समझने की जरूरत है। बयान में कहा गया कि दसॉ द्वारा रिलायंस को पार्टनर चुनने में सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
बयान के मुताबिक, सरकार ने पहले भी यह बात कही है और फिर से अपनी पूर्व की स्थिति को दोहरा रही है कि रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने में सरकार कोई हाथ नहीं है। ऑफसेट पॉलिसी की घोषणा पहली बार 2005 में हुई थी, इसके बाद कई बार इसे बदला भी किया गया। रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान संबंधी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने राफेल में दसॉ एविएशन के ऑफसेट पार्टनर के रूप में किसी खास निजी कंपनी की तरफदारी की। इसकी जांच की जा रही है।'
बयान में कहा कि रिलायंस और डिसॉल्ट एविएशन के बीच जॉइंट वेंचर पहली बार फरवरी 2017 में सामने आया। यह दो प्राइवेट कंपनियों के बीच में पूरी तरह वाणिज्यिक व्यवस्था है। दसॉ एविएशन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि उसने कई कंपनियों के साथ पार्टनरशिप अग्रीमेंट साइन किया था, इसके साथ ही वह कई अन्य कंपनियों के साथ बात भी कर रही है।
इसके पहले राफेल डील पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर करारा हमला बोला था। राहुल ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि पहली बार फ्रांस का कोई पूर्व राष्ट्रपति हमारे प्रधानमंत्री को चोर बोल रहा है। उन्होंने कहा, 'मुझे हैरानी होती है कि हमेशा बोलने वाले प्रधानमंत्री इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। प्रधानमंत्री को ओलांद के बयान पर सफाई देनी चाहिए।'