पटना: राजद नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने प्रदेश की जदयू-भाजपा सरकार पर बिहार विधान परिषद में राजद के सदस्यों की आवश्यक संख्या के अभाव में नियम की आड़ लेकर उन्हें प्रतिपक्ष का नेता का दर्जा नहीं दिए जाने पर नाराजगी व्यक्त की है।
बिहार विधान परिषद के बाहर आज पत्रकारों द्वारा इस संबंध में प्रश्न पूछे जाने पर राबड़ी ने कहा कि वे ऐसा करके विपक्ष की आवाज को दबाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इससे राजद के सदस्यों की उच्च सदन में संख्या 45 होने के बावजूद उनके दल के गुलाम गौस को प्रतिपक्ष के नेता का दर्जा दिया गया था, पर अब वे नियम की आड़ ले रहे हैं।
बिहार विधान परिषद ने अगस्त के प्रथम सप्ताह में राजद की राबड़ी देवी को सदन में प्रतिपक्ष का नेता का दर्जा दिए जाने की मांग को यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिया था कि इसके लिए इस दल की सदन में आवश्यक संख्या अपर्याप्त है। बिहार विधान परिषद में किसी भी दल से प्रतिपक्ष का नेता बनाए जाने के लिए उस दल का नौ सदस्य होना आवश्यक है पर वर्तमान में राजद के मात्र सात ही सदस्य हैं।
राबड़ी ने कहा कि उन्हें प्रतिपक्ष के नेता का दर्जा नहीं दिया गया पर वे जननेता हैं। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने राबडी के आरोप को खारिज करते हुए आरोप लगाया कि वे और उनके परिवार के सदस्य बिना सुविधा के नहीं जी सकते।
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी का कार्यकाल 2018 तक है, जो दूसरी बार बिहार विधान परिषद की सदस्य मनोनीत की गयी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी इसी सदन के सदस्य हैं।
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