चंडीगढ़: केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने शुक्रवार को राजनीतिक दलों की एक बैठक बुलाई है ताकि उन पर पंजाब विधानसभा चुनावों की घोषणा होने तक चुनावी प्रचार न करने का दबाव डाला जा सके। भारतीय जनता पार्टी को इस बैठक के लिए नहीं बुलाया गया है। पंजाब विधानसभा के चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने हैं। जम्हूरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने इसकी पुष्टि करते हुए गुरुवार को कहा कि किसान संगठनों ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है।
संधू ने कहा कि तीन कृषि कानूनों का समर्थन करने वाली बीजेपी को बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से कहा जाएगा कि वे चुनाव की घोषणा होने तक चुनाव प्रचार में शामिल न हों या राजनीतिक रैलियां न करें क्योंकि इससे चल रहे किसान संघर्ष को नुकसान पहुंच सकता है। शिरोमणि अकाली दल ने गुरुवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने बैठक में भाग लेने के लिए बलविंदर सिंह भुंदर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, महेश इंदर सिंह ग्रेवाल और दलजीत सिंह चीमा को प्रतिनियुक्त किया है।
वहीं, आम आदमी पार्टी के विधायक कुलतार सिंह संधवान ने कहा कि शुक्रवार को किसान संगठनों द्वारा बुलाई गई बैठक में पार्टी के प्रतिनिधि भाग लेंगे। शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने गत 6 सितंबर को सभी 32 किसान संगठनों को अपने चुनावी कार्यक्रम 'गल पंजाब दी' के संबंध में सभी 'भ्रमों' को दूर करने के मकसद से उसके साथ बातचीत करने के लिए एक समिति गठित करने को आमंत्रित किया था। SAD ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को अकालियों के ‘निरंतर समर्थन’ को दोहराने के लिए किसानों के साथ बातचीत करने के वास्ते एक समिति का गठन किया था।
शिरोमणि अकाली दल का यह कदम ऐसे समय आया है जब किसानों के एक समूह ने हाल ही में पंजाब के मोगा जिले में अकाली दल के एक कार्यक्रम में जबरन घुसने की कोशिश की, जहां बादल बोल रहे थे। इस घटना के बाद शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने अपनी पार्टी के चुनावी प्रचार अभियान 'गल पंजाब दी' को 6 दिन के लिए रोक दिया था।
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