नई दिल्ली: भारत के अगले राष्ट्रपति के लिये कल होने वाले चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार आमने-सामने हैं लेकिन आंकड़ों में कोविंद का पलड़ा भारी दिख रहा है।
मतों की गिनती 20 जुलाई को दिल्ली में होगी जहां विभिन्न राज्यों की राजधानियों से मत पेटियां लाई जायेंगी। इन चुनावों में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य तथा राज्य विधानसभाओं के सदस्य मतदाता होते हैं। इस चुनाव में राजग का पक्ष भारी लग रहा है लेकिन विपक्ष अपने उम्मीदवार के समर्थन में कुछ क्षेत्रीय दलों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है।
बिहार के पूर्व राज्यपाल कोविंद और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने देश भर में घूम-घूम कर अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में लोगों से मत देने को कहा। मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस साल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है। अब तक मुखर्जी समेत 13 लोग इस पद पर रह चुके हैं।
इन चुनावों में कुल 4896 मतदाता (4120 विधायक और 776 सांसद) अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिये पात्र हैं। राज्यों की विधान परिषद के सदस्य विधान पार्षद इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेते। लोकसभा अध्यक्ष जहां इस चुनाव में मत डाल सकता है वहीं एंग्लो-इंडियन समुदाय से लोकसभा में नामित होने वाले दो सदस्यों को मतदान का अधिकार नहीं होता है। राज्यसभा के भी 12 नामित सदस्य इन चुनावों में मतदान के अयोग्य होते हैं।
यह चुनाव क्योंकि गोपनीय मतपत्र के जरिये होता है इसलिए पार्टयिां अपने सदस्यों को किसी खास उम्मीदवार के पक्ष में मत डालने के लिये व्हिप जारी नहीं कर सकतीं।
भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के पास शिवसेना को मिलाकर कुल 5,37,683 वोट हैं और उसे करीब 12000 और मतों की जरूरत है। हालांकि बीजद, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस से समर्थन के वादे और अन्नाद्रमुक के एक धड़े से समर्थन की संभावना राष्ट्रपति चुनावों में वोटों की कमी के अंतर को पूरा कर सकती है।
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