मिल रहे हैं प्रबल संकेत, राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार उतार सकता है विपक्ष
बीजेपी की ओर से रामनाथ कोविंद को NDA का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद कांग्रेस, वाममोर्चा समेत कुछ विपक्षी दलों की सतर्क प्रतिक्रिया के बावजूद इस शीर्ष संवैधानिक पद के लिए मुकाबला होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।
नई दिल्ली: बीजेपी की ओर से रामनाथ कोविंद को NDA का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद कांग्रेस, वाममोर्चा समेत कुछ विपक्षी दलों की सतर्क प्रतिक्रिया के बावजूद इस शीर्ष संवैधानिक पद के लिए मुकाबला होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। हालांकि बीजेपी का कहना है कि इस बारे में सभी दलों से चर्चा की गई और दलित समाज से आने वाले एक व्यक्ति का सभी दलों को समर्थन करना चाहिए। संख्याबल और आंकड़ों पर गौर करें तो यह पूरी तरह से भाजपा नीत NDA के साथ है। NDA के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के नाम पर विपक्ष बंटा हुआ नजर आ रहा है। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस, वाममोर्चा, तृणमूल के कोविंद के नाम पर राज़ी होने की संभावना बेहद कम है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कल कहा था, ‘मुझे उम्मीद है कि इस नाम पर सभी सहमत होंगे।’ राष्ट्रपति पद के लिए NDA उम्मीदवार के लिए सभी दलों के सहयोग की उम्मीद जाहिर करते हुए शाह ने कहा था कि बीजेपी और NDA यह आशा करता है कि दलित के घर में जन्म लेने वाले और संघर्ष करके सार्वजनिक जीवन में मुकाम बनाने वाले रामनाथ कोविंद सर्वसम्मत प्रत्याशी होंगे। बहरहाल, BJD, TRS जैसे कई विपक्षी दलों से NDA उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के नाम का समर्थन करने के संकेत मिले हैं। रामनाथ कोविंद के नाम पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुर भी नरम हैं। लेकिन बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने इस मुद्दे पर सीधे-सीधे समर्थन देने की जगह दलित वोटबैंक का हवाला देते हुए उम्मीदवारी पर सवाल उठाया है।
सिर्फ एक बार ही चुने गए हैं निर्विरोध राष्ट्रपति
इस सब के बीच राष्ट्रपति पद के चुनाव के इतिहास में सिर्फ एक बार ही निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गए। इसके अलावा हर बार सत्तारुढ़ दल और विपक्ष के उम्मीदवार के बीच मुकाबला हुआ। नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध चुने गए थे और वे 1977 से 1982 तक राष्ट्रपति रहे। कांग्रेस से लेकर वाममोर्चा और तृणमूल ने बीजेपी के उम्मीदवार के खिलाफ अपना प्रत्याशी खड़ा करने के संकेत दिए हैं। दूसरी तरफ मायावती ने कोविंद की उम्मीदवारी का दलित चेहरे के तौर पर खुलकर विरोध करने से परहेज़ किया है। विपक्ष इस मुद्दे पर 22 जून को बैठक कर रहा है।
सीताराम येचुरी ने बीजेपी पर लगाया आरोप
माकपा महासचिव सीताराम येचूरी का कहना है कि बीजेपी ने एकतरफा ढंग से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। विपक्ष इस बारे में 22 जून को बैठक करेगा। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सामान्य दलित परिवार से आने वाले रामनाथ कोविंद सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और सदाचार के लिये जाने जाते हैं और सभी दलों को उनका समर्थन करना चाहिए।
शिवसेना फिर दिख रही अपने ही रंग में
बीजेपी की सहयोगी शिवसेना भी इस नाम पर सवाल उठा रही है। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि सिर्फ दलित वोटों के लिए कोविंद को चुना गया है। इससे देश को कोई लाभ नहीं होगा। शिवसेना ने कभी किसी को ढाल बनाकर राजनीति नहीं की। उद्धव ने कहा है कि शिवसेना ने एमएस स्वामीनाथन का नाम राष्ट्रपति पद के लिए सुझााया था, जिससे किसानों को फायदा मिलता। अगर शिवसेना NDA उम्मीदवार का समर्थन नहीं करती है तो ये नई बात नहीं होगी। इससे पहले भी शिवसेना UPA उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी का समर्थन कर चुकी है।
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संख्याबल और आंकड़ों पर गौर करें तो यह पूरी तरह से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ है। अन्नद्रमुक, बीजू जनता दल, TRS खुले तौर पर इस शीर्ष संवैधानिक पद के लिये NDA उम्मीदवार का समर्थन कर चुकी हैं। इसे ध्यान देने पर सत्ता पक्ष के पास करीब 58 फीसदी वोट दिख रहे है। वहीं विपक्ष के पास करीब 35 फीसदी वोट ही हैं।
क्या कहा ममता बनर्जी ने?
बहरहाल तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रामनाथ कोविंद को NDA का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर असंतोष व्यक्त किया है। ममता बनर्जी ने कहा है कि प्रणब मुखर्जी या सुषमा स्वराज या एलके आडवाणी जैसे कद वाले किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जा सकता था।