नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाएगा। प्रणब मुखर्जी देश के उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं जिन्हें न केवल पक्ष बल्कि विपक्षी दलों के नेताओं से भी सम्मान मिला। 13वें राष्ट्रपति के तौर पर उनका कार्यकाल 24 जुलाई 2017 को पूरा हो गया था।
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती गांव में हुआ था। उन्होंने वीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद कोलकाता यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में एमए और एलएलबी की डिग्री ली। उनका 13 से अनोखा नाता रहा है। वे 13वें राष्ट्रपति बनने के लिए मैदान में उतरे थे। 13 तारीख को शादी की सालगिरह आती है। इतना ही नहीं 13 जून को ही ममता बनर्जी ने प्रणब मुखर्जी का नाम उछाला था।
प्रणब मुखर्जी ने कुछ समय के लिए पत्रकारिता भी की। 1969 में अजय मुखर्जी की अध्यक्षता वाली बांग्ला कांग्रेस में शामिल हुए तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नजर उन पर पड़ी। इसके बाद प्रणब दा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जुलाई 1969 में प्रणब मुखर्जी पहली बार राज्य सभा में चुनकर आए थे उसके बाद 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्य सभा के लिए चुने गए। वह 1980 से 1985 तक राज्य में सदन के नेता भी रहे। फरवरी 1973 में प्रणब मुखर्जी पहली बार केंद्रीय मंत्री बने थे। 1996 से लेकर 2004 तक केंद्र में गैर-कांग्रेसी सरकार रही। 2004 में यूपीए की सत्ता में वापसी हुई तब प्रणब मुखर्जी केंद्रीय मंत्री बने।
...जब राष्ट्रपति भवन के ठाठ को खूब निहारा करते थे प्रणब
जब 1969 में प्रणब मुखर्जी राज्यसभा के सदस्य बने तो उनका आधिकारिक घर राष्ट्रपति संपदा के पास ही था और राष्ट्रपति भवन के ठाठ को वह खूब निहारा करते थे। एक दिन उन्होंने राष्ट्रपति की घोड़े वाली बग्गी को देखकर अपनी बहन अन्नापूर्णा बनर्जी से कहा कि इस आलीशान राष्ट्रपति भवन का आनंद उठाने के लिए वो अगले जन्म में घोड़ा बनना पसंद करेंगे लेकिन तब उनकी बहन ने उन्हें कहा था- 'इसके लिए तुम्हें अगले जन्म तक रुकना नहीं पड़ेगा बल्कि इसी जन्म में तुम्हें इसमें रहने रहने का मौका मिलेगा।'
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