नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1947 में देश के बंटवारे को पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक करार दिया और भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर कहा कि यह दर्द आज भी हिंदुस्तानियों के सीने को छलनी करता है। भारत की आजादी की 75वीं सालगिरह पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि अब से 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम आजादी का जश्न मनाते हैं लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है। यह पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कल ही देश ने भावुक निर्णय लिया है। अब से 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद किया जाएगा।’’ प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देश की आजादी में अपने प्राणों की आहूति देने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस कड़ी में उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान जैसे महान क्रांतिकारियों के अलावा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई सहित अन्य सेनानियों को याद किया।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी हों, देश को एकजुट राष्ट्र में बदलने वाले सरदार पटेल हों या भारत को भविष्य का रास्ता दिखाने वाले बाबासाहेब अम्बेडकर, देश ऐसे हर व्यक्तित्व को याद कर रहा है, देश इन सबका ऋणी है।’
आतंकवाद, विस्तारवाद की चुनौतियों का सधे तरीके से भारत दे रहा है जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विस्तारवाद के नीति के लिए चीन और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए रविवार को कहा कि भारत दोनों चुनौतियों का करारा जवाब दे रहा है। देश के 75वें स्वाधीनता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि कोई बाधा 21वीं सदी के भारत के सपनों को पूरा करने से नहीं रोक सकती।
चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा, ‘‘आज दुनिया भारत को एक नई दृष्टि से देख रही है और इस दृष्टि के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। एक आतंकवाद और दूसरा विस्तारवाद। भारत इन दोनों ही चुनौतियों से लड़ रहा है और सधे हुए तरीके से बड़े हिम्मत के साथ जवाब भी दे रहा है।’’ उन्होंने कहा कि भारत आज अपना लड़ाकू विमान, पनडुब्बी और गगनयान भी बना रहा है और यह स्वदेशी उत्पादन में भारत के सामर्थ्य को उजागर करता है। उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी में भारत के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने से कोई भी बाधा रोक नहीं सकती। हमारी ताकत हमारी जीवटता है, हमारी ताकत हमारी एकजुटता है। हमारी प्राण शक्ति, राष्ट्र प्रथम सदैव प्रथम की भावना है।’’
इनपुट-भाषा
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